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Those born in the kalpas1 and beyond the kalpas.
अध्याय
उपर्युपरि ॥१८॥
सोलह स्वर्ग के आठ युगल, नव ग्रैवेयक, नव अनुदिश और पाँच अनुत्तर, ये सब विमान क्रम से ऊपर-ऊपर हैं।
One above the other.
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सौधर्मैशानसानत्कुमारमाहेन्द्रब्रह्मब्रह्मोत्तरलान्तवकापिष्ठशुक्रमहाशुक्रशतारसहस्त्रारेष्वानतप्राणतयोरारणाच्युतयोर्नवसु ग्रैवेयकेषु
विजयवैजयन्तजयन्तापराजितेषु सर्वार्थसिद्धौ च ॥१९॥
सौधर्म-ईशान, सानत्कुमार - माहेन्द्र, ब्रह्म - बह्मोत्तर, लान्तव-कापिष्ठ, शुक्र-महाशुक्र, शतार - सहस्रार इन छह युगलों के बारह स्वर्गों में, आनत - प्राणत इन दो स्वर्गों में, आरण- अच्युत इन दो स्वर्गों में, नव ग्रैवेयक विमानों में, नव अनुदिश विमानों में और विजय, वैजयन्त, जयन्त, अपराजित तथा सर्वार्थसिद्धि इन पाँच अनुत्तर विमानों में वैमानिक देव रहते हैं।
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The kalpas are the habitations of devas from Saudharma prior to Graiveyakas. Refer to sutra 19 and 23.
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