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अध्याय - २
(The bodies are) more and more subtle successively.
प्रदेशतोऽसंख्येयगुणं प्राक्तैजसात् ॥३८॥
[प्रदेशतः ] प्रदेशों की अपेक्षा से [ तैजसात् प्राक् ] तैजस शरीर से पहिले के शरीर [ असंख्येयगुणं] असंख्यात्गुने हैं।
Prior to the luminous body, each has innumerable times the number of space-points of the previous
one.
अनन्तगुणे परे ॥३९॥
[ परे ] शेष दो शरीर [अनन्तगुणे ] अनन्तगुने परमाणु (प्रदेश) वाले हैं अर्थात् आहारक शरीर की अपेक्षा अनन्तगुने प्रदेश तैजस शरीर में होते हैं और तैजस शरीर की अपेक्षा अनन्तगुने प्रदेश कार्मण शरीर में होते हैं। The last two have infinite fold (space-points).
अप्रतीघाते ॥४०॥ तैजस और कार्मण ये दोनों शरीर [अप्रतीघाते ] अप्रतीघात अर्थात् बाधा रहित हैं।
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