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अध्याय - ८
[आदितस्तिसृणाम् ] आदि से तीन अर्थात् ज्ञानावरण, दर्शनावरण, तथा वेदनीय [अन्तरायस्य च] और अन्तराय - इन चार कर्मों की [ परा स्थितिः] उत्कृष्ट स्थिति [त्रिंशत्सागरोपमकोटीकोट्यः ] तीस कोड़ाकोड़ी सागर की
है।
The maximum duration of the three main types (primary species) from the first and obstructive karmas is thirty sāgaropama kotīkotī.
सप्ततिर्मोहनीयस्य ॥१५॥
[ मोहनीयस्य] मोहनीय कर्म की उत्कृष्ट स्थिति [ सप्ततिः] सत्तर कोड़ाकोड़ी सागर की है।
Seventy sāgaropama kotīkotī is the maximum duration of the deluding karmas.
विंशतिर्नामगोत्रयोः ॥१६॥ [नामगोत्रयोः ] नाम और गोत्र कर्म की उत्कृष्ट स्थिति [विंशतिः ] बीस कोडाकोड़ी सागर की है।
Twenty sāgaropama kotīkotī is the maximum duration of the name-karma and the statusdetermining karma.
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