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॥ वंदना तेहने माहरी श्वास माह सो वार ॥
દિવ્યકૃપા. सविशुद्ध संयभना अणे सेंडो सुविहित श्रभाश रत्नोन सर्वन उरनारा
घ.५. माथार्य लगवंत श्रीभ विश्य प्रभसरीश्वर महाराज संघ, शासन अने सेंडडो शिष्योनी वाजहारी वथ्ये वर्धमान तधनी १०८ ओणी पुरनारा
प.पू. आचार्य भगवंत श्रीभ६ विश्य नुवनमानुसूरीश्वर महारा रोल्सरनी घोर जिभारीभां पाश भासक्षभाशाहि तपना आराधड, फोऽ सभताना धार।
प.पू. धन्यासप्रवर श्री पभावस्य भहारा
શુભઆશિષ शास्त्रनिष्ठा, व्यवहार दुशणता भने पूर्ण प्रेम अने वात्सल्य भावना अणे विराट श्रभाश सभुटायर्नु सण संथालन इरनारा गछाधिपति आचार्य भगवंत श्रीभ विश्य न्यधोषसूरीश्वर महारा
પ્રેરક-માર્ગદર્શક वैराग्यभय देशना द्वारा अनेडोना हैयाने अरिहंतभय हरनारा प.५. मायार्थ भगवंत श्रीभ विश्य हमयंद्रसूरीश्वर महाराज