SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 93
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रस्तावना अब अनन्तवीर्य और प्रभाचन्द्र तथा वादिराजके उल्लेख पाते हैं । मो वे मान्यताभेद या प्राचार्यपरम्पराश्रुतिको लेकर हैं। उन्हें न तो मिथ्या जा सकता है और न विरुद्ध । हो सकता है कि पात्रस्वामीने अपने देव सीमन्धरस्वामीके स्मरणपूर्वक और पद्मावतीदेवीकी सहायतासे महत्त्वपूर्ण एवं विशिष्ट अमलालीढ–निर्दोषपद (वात्तिक) की रचना की होगी और इस तरहपर अनन्तवीर्य आदि प्राचार्योंने कर्तृत्व विषयक अपनी अपनी परिचितिके अनुसार उक्त उल्लेख किये हैं। यह कोई असम्बद्ध, काल्पनिक एवं अभिनव बात नहीं है । दिगम्बर परंपरा में ही नहीं श्वेताम्बर परम्परा, वैदिक और बौद्ध सभी भारतीय परम्पराओंमें है। समस्त द्वादशांग श्रुत, मनःपर्यय आदि ज्ञान, विभिन्न विभूतियां मंत्रसिद्धि, ग्रन्थसमाप्ति, सङ्कटनिवृत्ति आदि कार्य परमात्मस्मरण, आत्म-विशुद्धि, तपोविशेष, देवादिसाहाय्य आदि यथोचित कारणों से होते हुए माने गये हैं। अतः ऐसी बातोंके उल्लेखोंको बिना परीक्षाके एकदम अन्धभक्ति या काल्पनिक नहीं कहा जा सकता। श्वेताम्बर विद्वान् माननीय पं० सुखलालजीका यह लिखना कि “इसके (कारिकाके) प्रभाव के कायल अतार्किक भक्तोंने इसकी प्रतिष्ठा मनगढन्त ढङ्गसे बढ़ाई । और यहाँ तक वह बढ़ी कि खुद तर्कग्रन्थ लेखक आचार्यभी उस कल्पित ढङ्गके शिकार बने. इस कारिकाको सीमन्धरस्वामीके मुख में से अन्धभक्ति के कारण जन्म लेना पड़ा. 'इस कारिकाके सम्भवतः उद्भावक पात्रस्वामी दिगम्बर परम्पराके ही हैं; क्योंकि भक्तपूर्ण उन मनगढन्त कल्पनाओंकी सृष्टि केवल दिगम्बरीय परम्परा तकही सीमित है।” (प्रमाणमी० भा० पृ० ८४) केवल अपनी परम्पराका मोह और पक्षग्राहिता के अतिरिक्त कुछ नहीं है । उनकी इन पंक्तियों और विचारोंके सम्बन्धमें विशेष कर अन्तिम पंक्तिमें कुछ लिखा जा सकता है। इस संक्षिप्त स्थान पर हमें उनसे यही कहना है कि निष्पक्ष विचारके स्थान पर एक विद्वान्को निष्पक्ष विचार ही प्रकट करना चाहिए। दूसरोंको म्रममें डालना एवं
SR No.009648
Book TitleNyaya Dipika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmbhushan Yati, Darbarilal Kothiya
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1968
Total Pages390
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size34 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy