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________________ प्रथमः सर्गः टिप्पणी-(१) श्रियः पालनी प्रजासु वृत्ति'-इन शब्दों से भारवि के उत्कृष्ट राजनीतिविषयक ज्ञान का परिचय मिलता है। वस्तुतः प्रजा को प्रसन रखने से ही राजा की राजलक्ष्मी स्थिर रह सकती है। यदि राजा को अपनी प्रजा का अनुराग प्राप्त नहीं है तो वह अधिक काल तक प्रजा के ऊपर शासन नहीं कर सकता। इस तथ्य को भलीभांति जानने वाले राज्यभ्रष्ट धर्मराज युधिष्ठिर ने पुनः राज्य प्राप्ति की अभिलाषा से दुर्योधन की प्रजापालननीति को जानने के लिये एक किरात को गुप्तचर के रूप में हस्तिनापुर भेजा था। अपने अनुजों और द्रोपदी के साथ द्वैतवन में निवास कर रहे युधिष्ठिर जानना चाहते थे कि दुर्योधन का प्रजा के प्रति कैसा व्यवहार है-क्या वह नीति का अनुसरण करके प्रजा का पालन कर रहा है-दुर्योधन को प्रजा का अनुराग प्राप्त है अथग नहीं, इत्यादि। इन सब बातों को जानकर ही युधिष्ठिर पुनः राज्य-प्राप्ति के लिए अपेक्षित प्रयत्न कर सकते थे। (२) वर्णिलिङ्गीवर्ण का अर्थ है आठ प्रकार के मैथुन (स्मरण, कीर्तन, केलि, प्रेक्षण, गुह्यभाषण, संकल्प, अध्यवसाय, क्रियानिवृत्ति) का अभाव । वर्णिन् (वर्णी, वर्णि-) का अर्थ हुआ-आठ प्रकार के मैथुन से रहित व्यक्ति = ब्रह्मचारी । लिङ्ग का अर्थ है चिह्न = रूप = वेष । इस प्रकार वर्णिलिङ्गी का अर्थ हुआ-ब्रह्मचारी के वेष को धारण करने वाला। हस्तिनापुर में गुप्तचर के रूप मे जाने वाले किरात ने ब्रह्मचारी का वेष इसलिए धारण किया (बनाया) जिससे ब्रह्मचारी समझकर उसे कोई भी न रोके-टाके और वह दुर्योधन के समस्त गुप्त रहस्यों को सुगमता से जान ले (३) द्वैतवन इस समय देवबन्द कहलाता है। यह स्थान उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में स्थित है। (४) ग्रन्थ की निर्विघ्न समाप्ति के लिए महाकवि ने महाकाव्य का प्रारम्भ मङ्गलवाचक श्री (श्रियः) शब्द से किया है। (५) 'वने वनेचरः' में वने की एक बार आवृत्ति हुई है, अतः यहाँ छेकानुप्रास है। अनेक (एक से अधिक) व्यजनों का एक बार जो सादृश्य होता है वह छेकानुप्रास है ( देखिए, मेरे द्वारा रचित अलंकार-प्रकाश)। आचार्य मल्लिनाथ ने यहाँ वृत्त्यनुप्रास माना है। (६) इस सग के प्रथम ४४ श्लोक
SR No.009642
Book TitleKiratarjuniyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVibhar Mahakavi, Virendra Varma
PublisherJamuna Pathak Varanasi
Publication Year1978
Total Pages126
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size81 MB
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