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- चेतन, अभी जो अपने सामने से गुजरा न? वह लाखों रुपयों का मालिक
है, परंतु अति कृपण है! उसको कौन समझाए कि वह अशातावेदनीय कर्म बाँध रहा है। - चेतन, जब सर्वप्रथम मैंने तुझे प्रतिदिन परमात्मपूजन करने का आग्रह किया था... तब मेरी बात तुझे पसंद नहीं आई थी! याद है? हालाँकि तूने उस दिन से परमात्मपूजन करना शुरू कर दिया था, परंतु मैंने क्यों आग्रह किया था परमात्मपूजन करने का? चूंकि जो धर्मकार्य में प्रमाद करता है, वह अशातावेदनीय कर्म बाँधता है! मैं नहीं चाहता था कि तू वैसा कर्म बाँधे। हम साधु हैं न? यदि हम १० प्रकार की आचारसंहिता का पालन नहीं करते हैं, यानी क्षमा, नम्रता, निर्लोभता वगैरह यतिधर्म का पालन नहीं करते हैं और इच्छाकार, मिथ्याकार...तहत्ति वगैरह १० प्रकार की सामाचारी का पालन नहीं
करते हैं तो अशातावेदनीय कर्म बाँधते हैं। - चेतन, तेरे घर के पासवाले मकान में तू देखता है न... वह औरत उसके पति को हमेशा परेशान करती है? रोती है... विलाप करती है... वह
अशातावेदनीय बाँधती है। - एक श्राविका ने फरियाद कीः ‘आपके भक्त (उसका पति) मुझे रोज मारते हैं, घोर
क्लेश करते हैं, आप उनको समझाएँगे?' उस भक्त को मैंने कहाः 'तुम औरत को मारते हो, क्लेश करते हो, तुम अशातावेदनीय कर्म बाँधते हो और भी दूसरे कर्म बाँधते हो। जब वे कर्म उदय में आएंगे, शरीर रोगों से भर आएगा, असह्य वेदना
के शिकार बन जाओगे, इसलिए यह मारना, कटु शब्द बोलना आदि छोड़ दें।' - आत्महत्या करनेवाले, मरें या न मरें, वे लोग अशातावेदनीय कर्म तो बाँधते
ही हैं। स्वयं को दुःख देने से भी यह कर्म बँधता है। स्वयं रोने से, दूसरों को रुलाने से भी यह कर्म बँधता है। स्वयं शोक करने और दूसरों को शोकमग्न करने से अशातावेदनीय बँधता है। चेतन, एक काम करने जैसा है। एक-दो हॉस्पिटल में... प्रयोग के तौर पर ऐसे चार्ट बनवा कर लगवाने चाहिए - 'आप को दर्द क्यों हुआ?' 'आप को वेदना क्यों सहनी पड़ती है?' ऐसे-ऐसे हैडिंग देकर जो बातें मैंने ऊपर लिखी हुई हैं, वे बातें लिखनी चाहिए | दर्दी बार-बार पढ़ेगा... उसका हृदय परिवर्तन हो सकता
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