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देना। अब वह कोई भी ग़लत रास्ता नहीं ले पैसे कमाने के लिए।
इस पत्र से तुझे समाधान मिलेगा, ऐसी मेरी धारणा है। 'लाभांतराय कर्म टूटने पर, ‘दानांतराय' कर्म भी टूटना चाहिए। विपुल धन संपत्ति प्राप्त होने पर, यदि दानधर्म की भावना प्रबल हो जाती है तो दुनिया को अनेक जगडूशाह, भामाशाह और आभू संघवी मिल सकते हैं। 'लाभान्तर' टूट जाय, परंतु 'दानांतराय' नहीं टूटता है तो मम्मण सेठ पैदा हो जाते हैं!
पत्र पूर्ण करता हूँ। स्वस्थ रहे - यही मंगल कामना,
- भद्रगुप्तसूरि
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