________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
कृपालु गुरुदेव
४० राजा को महादेव का स्वरुप समझाया। राजा सिद्धराज प्रसन्न हो उठा। राजा ने गुरुदेव से कहा : 'भगवंत, आपने मुझ पर असीम कृपा की है। मुझे तीर्थयात्रा करवा कर अनहद उपकार किया है! अब हम पाटन वापस लौटें, पर इससे पूर्व कोड़ीनार गाँव में जगज्जननी अंबिका देवी के दर्शन-पूजन करके आएं!'
गुरुदेव ने अनुमति दी। संघ कोड़ीनार की ओर चला ।
For Private And Personal Use Only