________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
बादशाह का अपहरण
११८
कुमारपाल और वाग्भट्ट, दोनों गुरुदेव के चरणों में झुक गये। गुरूदेव ने
कहा :
'राजन्, दूसरे प्रहर के प्रारंभ में संघयात्रा का प्रयाण करना है। सभी तैयारियाँ पूरी हो चुकी हैं न?'
वाग्भट्ट ने कहा :
'गुरुदेव! सभी तैयारियाँ हो चुकी हैं। नगर में उत्साह का सागर उमड़ रहा है।'
राजा और प्रजा ने गुरुदेव के साथ पैदल चलकर यात्रा की ।
पैरों में जूते भी नहीं पहने।
'शत्रुंजय और गिरनार, दोनों महातीर्थों की यात्रा खुद करके, और सभी को करवाकर राजा कुमारपाल अपने आप को धन्यातिधन्य महसूस करने लगे ।
For Private And Personal Use Only