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प्रवचन-६२ गर्भपात का प्रमुख कारण : अत्यधिक भोगेच्छा : ___ जो स्त्री शादी के बाद भी नौकरी करना चाहती है वह संतान नहीं चाहती। शादी के बाद ५-१० वर्ष तक वह माता बनना नहीं चाहती। आज ऐसी बात बन गई है। परन्तु, वह ब्रह्मचर्य का पालन करना भी नहीं चाहती। उसको भोगसुख तो चाहिए ही। वह माता नहीं बन जाय इसलिए सतर्क भी रहती है, परन्तु यदि भूल हो जाती है तो 'एबोर्शन' करवा लेती है। अपने सुख के लिए गर्भस्थ शिशु की हत्या । ऐसी स्त्री माता बनने के लायक ही नहीं। इससे तो पशुमाता अच्छी कि जो कभी भी ऐसा पाप नहीं करती है। संतान क्यों माता-पिता को पूज्य नहीं मानते हैं?
कुछ माता-पिता बच्चों को जन्म तो देते है परन्तु पालन करना नहीं चाहते! दोनों को नौकरी होती है, अथवा व्यवसाय होता है, अथवा मौज करना होता है। बच्चे को वे विघ्न समझते हैं....इसलिए 'शिशुपालन केन्द्र' में भेज देते हैं। शिशुपालन केन्द्र की किरायेदार औरतें बच्चों का पालन करती हैं।
ऐसे बच्चों को अपने माता-पिता के दर्शन भी नहीं होते हैं तो माता-पिता का वात्सल्य-प्रेम मिले ही कैसे? जिन बच्चों को माता का दूध नहीं मिलता है, पिता का प्रेम नहीं मिलता है, सुसंस्कार नहीं मिलते हैं, वे बच्चे माता-पिता को पूजनीय कभी नहीं मानेंगे। ऐसे बच्चे जब बड़े होते हैं तब उनके मन में जन्म देनेवाले माता-पिता के प्रति घोर घृणा पैदा हो जाती है। व्यक्ति के लिए, समाज के लिए और राष्ट्र के लिए यह कितना बड़ा नुकसान है? स्वस्थ चित्त से सोचोगे तो ही ये बातें समझ में आयेंगी। माता-पिता को अपना व्यक्तित्व गुणमय बनाना चाहिए :
माता-पिता बच्चों के प्रति अपने कर्तव्य समझते हैं क्या? समझेंगे क्या? माता-पिता को सम्माननीय बनना है, पूजनीय बनना है तो अपने कर्तव्यों का पालन करना ही होगा। कर्तव्यों का पालन करने के लिए सहनशीलता, स्नेहशीलता, उदारता और गंभीरता - ये गुण होने ही चाहिए | जो सहनशील नहीं होता है वह कर्तव्यपालन नहीं कर सकता है। जो सहनशील नहीं होता वह कर्तव्यपालन का फल नहीं पाता है। जो उदार नहीं होता है वह कर्तव्यपालन करते हुए भी सुख नहीं पाता है। जो गंभीर नहीं होता है वह कर्तव्यपालन सही रूप से नहीं कर सकता है।
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