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प्रवचन-६१
१४२ परिणाम अच्छा नहीं आयेगा। ये तीनों भाई बड़े शैतान थे, मैंने भगा दिया है। अब कभी भी उनके साथ किसी प्रकार का संबंध मत रखना । बोलने का संबंध भी मत रखना।'
हालाँकि आज के समय में ऐसी घटनाएँ बनती ही रहती हैं। चूंकि सदाचारी और भ्रष्टाचारी का भेद ही नहीं किया जाता है । 'सदाचारी के साथ ही संबंध रखना है,' ऐसा निर्णय भी नहीं रहा है।
सभा में से : हम लोग जहाँ रहते हैं, वहाँ आसपास में जो लोग रहते होते हैं उनके साथ थोड़ा-सा संबंध तो रखना ही पड़ता है....बड़े शहरों में तो आसपास दूसरी 'कम्युनिटी' के लोग भी होते हैं, मांसाहारी भी होते हैं | शराब और जुआ तो श्रीमंतों के घर में सामान्य बन गये हैं। अब हम सदाचारी पुरुषों को कहाँ खोजने जायँ? कैसे उनका संपर्क करें? ___ महाराजश्री : आपकी समस्या तो है ही। समस्या का समाधान ढूँढ़ना चाहिए। मैंने प्रारंभ में ही आपको कहा है कि जब तक अर्थ-काम का अभिगम नहीं बदलेगा तब तक समस्या सुलझने की नहीं है। आप क्यों ऐसी 'लोकालिटी' में रहते हो? क्यों अच्छे-समान धर्मवाले लोगों के पास नहीं रहते? क्यों अपने वतन में नहीं रहते? चूंकि वहाँ ज्यादा धन नहीं कमा सकते! गुणसमृद्धि पाने का लक्ष्य नहीं रहा। दुराचार और कु-विचारों का परहेज नहीं रहा। आपको सदाचारी बनने की तमन्ना होगी तो सदाचारी पुरुष मिल ही जायेंगे। दूध नहीं मिलेगा तो क्या जहर पिओगे? :
दूसरी बात : सदाचारी पुरुष नहीं मिलें तो दुराचारी पुरूषों का संपर्क करना क्या आवश्यक है? दूध नहीं मिले तो जहर पीना क्या उचित है? दुराचारी-भ्रष्टाचारी लोगों का संपर्क किसी भी स्थिति में करना उचित नहीं है। मैं जानता हूँ कि कुछ वर्षों से - जब से महिलाएँ व्यापार में एवं नौकरी में प्रवृत्त होने लगी हैं तब से - कुछ महिलाएँ तो पैसे के लिए अपने शरीर भी बेच रही हैं। शराब भी पीने लगी हैं न? क्लबों में जाकर नाचने भी लगी हैं न? उनको चाहिए अमन-चमन!
वैसे पुरुषों को भी मनमाने सुखभोग पाने हैं! उनको भी दुराचारी ही ज्यादा पसंद है! सदाचारी लोग उनको पसंद भी नहीं! आज तो कई परिवारों में लड़के-लड़कियों को सदाचारी माता-पिता भी पसंद नहीं हैं! सदाचारों की मर्यादाओं का पालन उनको जरा भी पसंद नहीं है। क्या किया जाय?
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