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तथा चारित्र का ढेर करना चाहिए। ऊपर सिद्धशिला के लिए एक ढेर और अन्त में नीचे नंदावर्त अथवा स्वस्तिक के लिए एक ढेर करना चाहिए। । सर्व प्रथम बीचवाले तीन ढेर को व्यवस्थित करते हुए निम्नलिखित दोहे मधुर स्वर में बोलने चाहिए'दर्शन-ज्ञान-चारित्र्यना
आराधन थी सार...' • उसके बाद ऊपर के ढेर में
अष्टमी के चन्द्रमा के समान इस तरह अक्षत पूजा करे।
सिद्धशिला की रचना करते हुए मध्यभाग में मोटा तथा दाहिनी और बांई ओरपतला करते हुए दोनों कोनों पर मक्खी के पंख के समान पतला करना चाहिए। उनके ऊपर स्पर्श न करे, इस प्रकार (सिद्धशिला के उपर) एक पतली छोटी सी रेखा करनी चाहिए। सिद्ध भगवंतों का निवास
सिद्धशिला
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