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आपकी सुनहरी यादे सदा,
हमें आनंदित करती है,। आपकी शौर्य भरी बातें सदा,
हमें रोमांचित करती है। आपकी विरह भरी यादे सदा,
हमे शोकान्वित करती है। आपकी समताभरी बाते सदा,
हमे पुलकित करती है। आपके अस्तित्व मात्र से हम सभी आनंदित
रहते थे। आपके जीवन सुकृत्यो की अनुमोदना व प्रभु भक्ति में तन्मय बनने की
आपकी अभिलाषा को याद करकें, यह प्रस्तुत पुस्तक प्रकाशन मे सहभागी बने है।
चन्द्रकांतभाई, धीरेन्द्रभाई, हेमेन्द्रभाई, परेशभाई
पुत्रवधू मधुबेन, सुरेखाबेन, अनिलाबेन, जागृतिबेन लिः श्री नंदप्रभा परिवार का सादर प्रणाम हाल : मुंबई, कलकत्ता...
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