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केशरपूजा की विधि हृदय के साथ सीधा सम्बन्ध रखनेवाले तथा नामकर्म को दूर करने की इच्छा रखनेवाली अनामिका ऊँगली से ही प्रभुजी की केशर पूजा करनी चाहिए । नाखून का स्पर्श नही होना चाहिए। अंबर-कस्तूरी-केशर मिश्रित चंदन की कटोरी कुछ चौड़े मुंहवाली होनी चाहिए। केशर न तो अधिक पतला और न ही अधिक गाढा होना चाहिए, बल्कि मध्यम कक्षा का
(पानी नहीं छूटे ऐसा)केशर होना चाहिए। • प्रभु के नव अंगों में पूजा करते समय दाहिने बांए अंगों में
(पैर, घुटना, कुहनी, कंधा ) ऊँगली को एक बार केशर में भिगोकर दोनों स्थलों पर पूजा हो सकती है। परन्तु दाहिने अंगों पर पूजा होने के बाद केसर नहीं बढ़े तो बांए अंगों पर पूजा करते समय केसर में ऊँगली भिगोई जा सकती है। प्रत्येक अंग में अपना केसर होना जरूरी है। दोनों पैरों के अंगूठों पर एक ही बार पूजा हो सकती है। बारबारअथवा अन्य ऊँगली में पूजा नहीं की जा सकती है। पूजा करते समय सम्पूर्ण मौन धारण करना चाहिए।यहाँ तक कि किसी के साथ इशारे में भी बातें नहीं करनी।
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