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लघुनीति आदि भी नहीं करनी चाहिए। यदि ऐसा हो जाए तो उन वस्त्रों को पूजा में नहीं पहनना चाहिए ।
पूजा के वस्त्र स्वयं के ही पहनने चाहिए ।
पुरुषों को कुर्ता-पायजामा, गंजी - शाल, पेन्ट - शर्ट, टीशर्ट आदि पहनकर पूजा नहीं करनी चाहिए ।
जाड़े (ठंडी ) के दिनों में सिले हुए वस्त्र पहनने के बदले गर्म शाल की व्यवस्था अलग से रखनी चाहिए। गर्भगृह के प्रवेश पूर्व उसका भी त्याग करना ।
घर से स्नान कर सामान्य वस्त्र पहनकर मंदिर आकर पुनः स्नान किए बिना पूजा के कपड़े पहनकर पूजा करने से दोष लगता है।
पूजा करने जाते समय घड़ी, चाबी, टोकन आदि कुछ भी साथ में नहीं रखना चाहिए ।
व्यस्त दिनचर्या के कारण मोबाईल आदि दर्शन करने जाते समय यदि रखना पड़े तो स्वीच ऑफ रखना ।
• पूजा के वस्त्र अनेक प्रकार से लाभदायी होने के कारण शुद्ध १००% सिल्क (रेशम) के वस्त्रों का ही प्रयोग करना चाहिए।
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