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द्रव्यशुद्धि के मन्त्रों से पवित्र किए हुए न्यायोचित वैभव से प्राप्त अष्टप्रकारी पूजा की सामग्री नाभि से ऊपर रहे, इस प्रकार ग्रहण करें। दूरसे जिनालय के शिखर, ध्वजा अथवा अन्य किसी भाग के दर्शन होते ही मस्तक झुकाकर'नमो जिणाणं'बोलना चाहिए। इर्यासमिति का पालन करते हुए प्रभु के गुणों का हृदय से स्मरण करते हुए मौन धारण कर जिनालय की ओर प्रस्थान करना चाहिए। मंदिर के मुख्य प्रवेशद्वार पर प्रवेश करने से पहले तीन बार निसीहि बोलें। मूलनायक भगवान का दर्शन कर 'नमो जिणाणं' कहकर चंदन-घरमें जाना चाहिए। सिलबट्टे,चंदन व कटोरी को धूपसे सुगन्धित करें।
अष्टपद मुखकोष बांधने के बाद ही केसर-चन्दन घिसने के लिए सिलबट्टे को स्पर्श करना चाहिए। केसर-अंबर-कस्तूरी-चन्दन मिश्रित एक कटोरी तथा कपूर चन्दन की एक कटोरी घिसना चाहिए। तिलक करने के लिए एक छोटी कटोरी में अथवा स्वच्छ हथेली में केसर मिश्रित चन्दन लेकर मस्तक आदि अंगो में तिलक करना चाहिए। पूजा के लिए उपयोगी सारी सामग्री हाथ में लेकर मूलनायक भगवान के समक्ष जाकर नमो जिणाणं बोलना चाहिए।