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(तत्त्वार्थ सूत्र **************अध्याय-D रह जाता है उनका बंध नहीं होता ॥३४॥
इस तरह जघन्य गुणवाले परमाणुओं के सिवा शेष सभी परमाणुओं का बन्ध प्राप्त हुआ। उनमें भी और नियम करते हैं, कि बंध कब नहीं होता?
गुणसाम्ये सद्दशानाम् ||३७।। अर्थ- गुणों की समानता होने पर सजातीय परमाणुओं का बन्ध नहीं होता।
विशेषार्थ - यदि बँधने वाले दो परमाणु सजातीय हों और उनमें बराबर अविभागी प्रतिच्छेद हों, तो उनका भी बन्ध नहीं होता । जैसे दो गुण स्नेह वाले परमाणु का दो गुण स्नेह वाले परमाणु के साथ बन्ध नहीं होता । दो गुण रूक्षता वाले परमाणु का दो गण रूक्षता वाले परमाण के साथ बन्ध नहीं होता । इसी तरह दो गुण रुक्षतावाले परमाणु का दो गुण स्निग्धतावाले परमाणुके साथ बन्ध नहीं होता । हाँ, यदि गुणों में समानता न हो तो सजातियों का भी बन्ध होता है । आशय यह है कि 'स्निग्धरूक्षत्वाद् बन्धः' इस सूत्रसे केवल स्निग्धता और रूक्षता गुणवाले परमाणुओं का ही बन्ध सिद्ध होता है, स्निग्धता-स्निग्धतावालों का या रूक्षता रूक्षतावालों का बन्ध सिद्ध नहीं होता । अतः गुणों में विषमता होने पर सजातीयों का भी बन्ध बतलाने के लिए यह सूत्र बनाया गया है।॥३५॥
उक्त कथन से यह सिद्ध हुआ कि विषमगुण वाले सभी सजातीय और विजातीय परमाणुओं का बन्ध होता है। अतः उसमें नियम करते हैं, कि बंध कब होता हैं
द्वयधिकादिगुणानां तु||३६|| अर्थ-जिनमें दो गुण अधिक होते हैं उन्हीं परमाणुओं का परस्पर में बन्ध होता हैं।
(तत्त्वार्थ सूत्र ************** अध्याय -
विशेषार्थ-सजातीय अथवा विजातीय , जिस परमाणु में स्निग्धता के दो गुण होते हैं उस परमाणु का एक गुण स्निग्धता वाले अथवा दो गुण स्निग्धताा वाले अथवा तीन गुण स्निग्धता वाले परमाणुओं के साथ बन्ध नहीं होता, किन्तु जिनमे चार गुण स्निग्धता के होते हैं, उसके साथ बन्ध होता हैं । तथा उस दो गुण स्निग्ध परमाणु का पाँच, छ, सात, आठ, नौ, संख्यात, असंख्यात और अनन्त गुण स्निग्ध परमाणु के साथ भी बन्ध नहीं होता । इसी तरह तीन गुण स्निग्धता वाले परमाणु का पात्र गुण स्निग्धता वाले परमाणु के साथ ही बन्ध होता है, न उसके कम गुण वालों के साथ बन्ध होता है और न उससे अधिक गुण वाले परमाणुओं के साथ बन्ध होता है । तथा दो गुण रूक्ष परमाणु का चार गुण रूक्ष परमाणु के साथ ही बन्ध होता है उससे कम या अधिक गुण वाले के साथ नहीं होता । इसी तरह तीन गुण रूक्ष परमाणु का पाँच गुण रूक्ष परमाणु के साथ ही बन्ध होता है उससे कम या अधिक के साथ बंध नहीं होता । यह तो हुआ सजातियो का बंध । इसी तरह भिन्न जातियों में भी लगा लेना चाहिये । अर्थात दो गुण स्निग्ध परमाणु का चार गुण रूक्ष परमाणु के साथ ही बंध होता है । तथा तीन गुण स्निग्ध परमाणु पाँच गुण रूक्ष परमाणु के साथ ही बंध होता है उससे कम या अधिक गुण वाले के बंध नहीं होता। न जधन्यगुणानाम' इस सूत्र से लगाकर आगे के सूत्रो में जो बंध का निषेध चला आता था उसका निवारण करने के लिए इस सूत्र में 'तु' पद लगा दिया है, जो निषेध को हटाकर बंध का विधान करता है ॥३६॥ __अब यह शंका होती है कि अधिक गुण वालों का ही बंघ क्यों बतलाया, समान गुण वालों का क्यों नही बतलाया? अतः उसके समाधान के लिए आगे का सूत्र कहते हैं
बन्धेऽधिकौ पारिणामिकौ च ||३७|| अर्थ- बन्ध होने पर अधिक गुण वाला परमाणु अपने से कम गुण 本本本本本本本本本本 122 中华本本來坐坐坐坐坐坐
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