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________________ वर्तमान तीर्थंकर श्री सीमंधर स्वामी वे भी ऋषभदेव भगवान जैसे है। ऋषभदेव भगवान सारे ब्रह्मांड के भगवान कहलाते है। वैसे ये सारे ब्रह्मांड के भगवान कहलाते है। वे हमारे यहाँ नहीं पर दूसरी भूमि पर है कि जहाँ मनुष्य नहीं जा सकता। ज्ञानी अपनी शक्ति वहाँ भेजते है। वह शक्ति पछकर फिर वापिस आती है। वहाँ स्थूल शरीर से नहीं जा सकते मगर वहाँ अवतार हो तब जा सके। हमारे यहाँ भरतक्षेत्र में तीर्थंकरो का जन्म होता था, वह बंद हो गया है ढाई हजार साल से! तीर्थंकर अर्थात् आखिरी 'फूल मून' (पूर्ण चंद्र)। लेकिन वहाँ महाविदेह क्षेत्र में सदा के लिए तीर्थंकर जन्म लेते हैं। सीमंधर स्वामी आज वहाँ विद्यमान है। प्रश्नकर्ता : वे अंतर्यामी है ? वर्तमान तीर्थंकर श्री सीमंधर स्वामी कि 'भैया, कौनसे स्टेशन जाना है ?' तब कहे, 'भैया, आणंद जाना है।' तब आणंद हमारे लक्ष में रहेता है। ऐसा यह मोक्ष में जाने का, सिद्धगति में जाने का, वह लक्ष में रहेता है। बाकी सर्वश्रेष्ठ उपकारी अरिहंत कहलाते है। अरिहंत किसे कहेंगे? जो हाजिर हो उसे। गेरहाजिर हो उसे अरिहंत नहीं कहते। प्रत्यक्ष-प्रकट होने चाहिये। इसलिए सीमंधर स्वामी के उपर अपना सब ले जाओ अब । वैसे तो बीस तीर्थंकर है मगर दूसरे कितने नाम हमारे खयाल में रहे ? इसके बजाय यह जिसका महत्व है, हमारे हिन्दुस्तान के लिए विशेष महत्व के गिनते है, वे सीमंधर स्वामी उनके पर ले जाईए और उनके लिए जीवन अर्पित कीजिए अब। द्रष्टि भगवान के दर्शन की ! प्रश्नकर्ता : महाविदेह क्षेत्र में सीमंधर स्वामी की प्रवृति क्या है ? दादाश्री : प्रवृति काहे की ? बस, भगवान ! लोग दर्शन करते है और वे वीतराग भाव से बानी बोलते है। प्रश्नकर्ता : देशना ? दादाश्री : हाँ, बस, देशना देते है। प्रश्नकर्ता : सीमंधर स्वामी महाविदेह क्षेत्र में दूसरा क्या करते है ? दादाश्री : करने का उन्हें कुछ भी नहीं होता। कर्म के उदय अनुसार, उदयकर्म जो कराये वैसा किया करते है। अपनेपन का इगोईझम (अहंकार) खत्म हो गया हो और पूरा दिन ज्ञान में ही रहें। महावीर भगवान रहते थे ऐसा। उनके फोलोअर्स (अनुयायी) बहुत होते हैं। सिर्फ दर्शन से ही मोक्ष ! प्रश्नकर्ता : सीमंधर स्वामी के दर्शन का वर्णन कीजिए ? दादाश्री : सीमंधर स्वामी की आयु हाल में देढ़ लाख साल की है। दादाश्री: वे हमें देखते हैं। हम उन्हें नहीं देख सकते। वे सारी दुनिया देख सकते है। सीमंधर स्वामी दूसरे क्षेत्र में है। यह बुद्धि से पर की बात है सब। पर मेरे ज्ञान में आयी है, इन लोगों की समझ में नहीं आये। लेकिन हमारी समझ में एक्झेक्ट (जैसा है वैसा) आये। अब उनके दर्शन करने से लोगों का बहुत कल्याण हो जाये। प्रश्नकर्ता : उनका देह कैसा है ? मनुष्य जैसा ? हमारे जैसा ? दादाश्री : देह अपने जैसा ही, मनुष्य जैसा ही देह है। प्रश्नकर्ता : उनके देह का प्रमाण क्या है? दादाश्री : प्रमाण बहुत विशाल है। हाईट बहुत लम्बी है। सभी बातें ही अलग है। उनकी आयु अलग है। महाविदेह क्षेत्र कहाँ ? कैसा ? प्रश्नकर्ता : सीमंधर स्वामी विचरते है, वह महाविदेह क्षेत्र कहाँ है ?
SR No.009607
Book TitleVartaman Tirthankar Shri Simandhar Swami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Foundation
Publication Year2001
Total Pages25
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size314 KB
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