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________________ सर्व दु:खों से मुक्ति सर्व दुःखों से मुक्ति man made होता है। Man Made में भगवान नहीं है। Creatures के अंदर भगवान है, वो जिम्मेदारी समझ लेना। Creation को तोड डालेगा उसके मालिक को पछकर. तो कोई पाप नहीं लगेगा। Creature को मार डालेगा तो पाप लगेगा, क्योंकि अंदर भगवान बैठे हैं। ये Bugs (खटमल) होता है न, उसको कभी मारते हैं? प्रश्नकर्ता : उसको तो देखते ही मार देता हूँ। दादाश्री : ऐसा! इतना जोरदार आदमी(!!) प्रश्नकर्ता : ऐसे बहुत सारे लोग है लेकिन यहाँ पर बैठने के बाद ऐसा नहीं बोलते कि मैं मारता हूँ। दादाश्री : मगर जिम्मेदारी तो उनकी है न, मारने की? खटमल मारने से फिर खटमल काटते नहीं कभी? काटने का बंध हो जाता है? प्रश्नकर्ता : दूसरे आ जाते है। दादाश्री : वो बडे बडे मजबूत लोग भी जब नींद में होते है, तब ये खटमल उनके पास खाना खाते है। नींद में सारी रात काटते है। वो जागने के बाद नहीं खाने देता। कोई खटमल भूखा नहीं रहता! उनका खुराक ही Blood है। सब लोग सो गये कि वो सारी रात खाता है, तो फिर जागते खाने दो न! Hotel चाल रखो। मच्छर भी काटते है? उसका क्या करते हो? प्रश्नकर्ता : मार देता हूँ। दादाश्री : वो किसकी जिम्मेदारी है?! कोई Scientist एक भी मच्छर बना नहीं सकता। एक मच्छर भी कोई बना सकता है? का अधिकार नहीं है। जो बना सकता है, उसको ही तोडने का अधिकार है। पुलिसवाला गाली देता है, तो क्या करता है? उसको मारता है? प्रश्नकर्ता : उसके सामने तो चूप बैठना ही पड़ता है। दादाश्री : और बाघ के पास, शेर के पास क्या होता है? सभी जीव के अंदर भगवान है, तो कोई भी जीव को तुम मारोगे क्या? प्रश्नकर्ता : नहीं, ऐसा नहीं करना चाहिये। दादाश्री : हाँ, अपने से कोई जीव को दुःख न हो, ऐसा करने का। छोटे से छोटा जीव हो तो भी उसको दु:ख नहीं हो ऐसे चलने का, ऐसे रहने का। घर में किसी को दु:ख देता है? Mother को, Father को? प्रश्नकर्ता : बिलकुल नहीं। दादाश्री : तो फिर किसको दुःख देता है? प्रश्नकर्ता : किसी को भी नहीं। दादाश्री : और तुमको कोई दुःख देता है? कौन देता है? प्रश्नकर्ता : घर में कोई नहीं देता, मगर बाहर सब दु:ख देते दादाश्री : सो-दो सो आदमी दुःख देते है या दो-चार आदमी दुःख देते है? प्रश्नकर्ता : दो-चार। दादाश्री : ओहोहोहो! इतनी बड़ी दुनिया में दो-चार का क्या हिसाब?! ये सारे room में मच्छर हो और सब मच्छर काटे तो ठीक प्रश्नकर्ता : नहीं। दादाश्री : तो फिर, जो चीज हम बना नहीं सकते, उसको मारने
SR No.009601
Book TitleSarva Dukho Se Mukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Foundation
Publication Year2003
Total Pages47
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size94 KB
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