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सर्व दुःखों से मुक्ति
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सर्व दुःखों से मुक्ति
ही भौतिक सुख की मजा आयेगी। आंतरिक सुख नहीं होगा तो भौतिक सुख 'पोईझन' जैसा हो जायेगा। भौतिक सुख ज्यादा बढ़ गया तो फिर बाद में ब्रान्डी है, जुआ है, ऐसे दूराचार में चला जायेगा। नहीं तो मनुष्य को अंतर सुख तो बहुत है, बाहर के किसी भी सुख की जरूरत ही न पड़े, इतना अंतर में सुख है। 'नेसेसिटी' की इच्छा भी करने जैसी नहीं है। वो अंतर सुख जो मिल गया, तो काम हो गया।
अभी जो लोग आंतरिक सुख के लिए खुद ही प्रयत्न करते है, वो किसके जैसी बात है, कि डॉक्टरी के पुस्तक में देखकर खुद ही prescription बना ले तो चलेगा? उससे पूरा फायदा नहीं मिलता। मगर डॉक्टर के पास जाये तो फिर पूरा फायदा है। वो डॉक्टर कैसा होना चाहिये कि बगैर Fee का होना चाहिये। जिधर Fee है, वहाँ सच्ची दवा नहीं है। जिधर Fee नहीं होती, वहाँ सच्ची दवा है।
प्रश्नकर्ता : फोरेन कंट्रीझ में बहुत से लोग दारू, चरस, गांजा लेते है आनंद के लिए, मोझ करने के लिए और कहते है कि दूसरी दुनिया में जा सकते है। तो वो दूसरी दुनिया क्या है? वह जानना है।
दादाश्री : दूसरी दुनिया जैसी कोई चीज ही नहीं है। वो जो नशा करते है, उससे अंदर जो संवेदन होता है, वो बिलकुल darkness हो जाती है। उसमें उसको आनंद दिखता है। उसको वो second world का आनंद बोलता है।
प्रश्नकर्ता : मुझे यह लगता है कि second world जैसा कुछ होना चाहिये, क्योंकि पाँच-छह महिने का छोटा बच्चा होता है, वह रोता है, हँसता है, उसे feelings है, वह second world को देखकर ही होनी चाहिये या मनुष्य मृत्यु के बाद second world में जाता होगा ऐसा लगता है।
दादाश्री : second world जैसी कोई चीज ही नहीं। हम ज्ञान में सब देखकर बोलते है। ये world क्या है, उसका creator कौन है,
किसने ये सब बनाया, किस तरह से ये चलता है, सब कुछ हम देखकर बोलते है। किताब में पढ़कर नहीं बोलते है। आपको वो second world देखने में interest है और ये आपकी belief में ये first world है, मगर ऐसा नहीं है।
____ Full darkness में क्या होता है? वो गांजा-चरस कोई भी चीज से वो Full darkness में चला जाता है, वहाँ बिलकुल effect नहीं होती, अंदर कोई effect नहीं होती है। वो जो दूसरी दुनिया की आपकी belief है, वो world of darkness है। वो गांजा-चरस सब पीकर ये दूसरी दुनिया में चला जाता है। आदमी को इतना थोडा भी उजाला दिखाया कि अंदर अजंपा चालु हो जाता है, क्योंकि light effective है न? light is effective. जब full light हो जाती है तो full light is uneffective और full darkness हो गयी तो full darkness is uneffective फिर full darkness में दुःख मालूम नहीं होता है, उसको ही वो आनंद मानता है।
सारी दुनिया में हम अकेले आदमी अबुध है। हमको बुद्धि नहीं है। हमारे पास indirect light नहीं है। हमारे पास direct light है, full light है, तब full समाधि हो जाती है। बुद्धि से समाधि नहीं रहेती है। तो वो ब्रांडी, गांजा कछ पीता है तो भी वो अबुध हो जाता है, तब भी समाधि होती है। मगर वो darkness की समाधि है। बुद्धि का light आदमी को emotional करता है। तो बात समझ गये न? Light is effective ! full light uneffective sit full darkness uneffective.
'ज्ञानी पुरुष' के पास सायन्टिफिक सब बात होती है। हम मोटर में भी घुमते है फिर भी निरंतर समाधि में रहते है। हम बिलकुल full light की दुनिया में ही रहते है। वो चरस-गांजा पीकर full darkness की दुनिया में चला जाता है। दूसरी दुनिया end वाली है और सच्ची दुनिया है, वो endless है।