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सर्व दुःखों से मुक्ति
सर्व दुःखों से मुक्ति
realise' हो जाये, तो फिर अपने को परमेनन्ट मुक्ति मिल जाती है। ये संसार से मक्ति मिल जाती है। और 'ज्ञानी पुरुष' नहीं मिले तो क्या करने का? कि दूसरे सब आदमी को, कुछ न कुछ सुख देने का। इससे अपने को अगले जन्म में सुख मिलेगा। अच्छा ही काम करने का, तो इससे अपने को अच्छा मिलेगा।
'ज्ञानी पुरुष' मिले तो 'मैं कौन हैं वो समझ लेना है। फिर कभी चिंता नहीं होगी। क्रोध-मान-माया-लोभ सब चले जायेंगे और आपको परमेनन्ट शांति रहेगी।
प्रश्नकर्ता : पुण्य क्या चीज है?
दादाश्री : आपके पास बैंक में क्रेडिट है, तो आप जब भी चाहे तब पचास रुपये, सो रुपये किसी को दे सकते है और जिसको क्रेडिट नहीं है वो क्या करेगा? पुण्य याने आपकी मरजी के मुताबिक और पाप याने आपकी मरजी के खिलाफ।
वो मजदूर लोग सारा दिन बहुत महेनत करता है लेकिन उसको ज्यादा पैसा नहीं मिलते है। पैसा मजदूरी से नहीं मिलता है, वो पुण्य का फल है। पिछले भव में जो तुमने पुण्य किया है, उसके फल स्वरुप यह है। यह संसार में खाना-पीना मिला, पैसा मिला, वो सब पाप और पुण्य का फल है और हमें जाना कहाँ है? मोक्ष में। तो मोक्ष में जाने के लिए पुरुषार्थ होना चाहिये। पैसा वो सब चीज तो आपको ऐसे ही मिलेगी। अपने को तो काम करने का है सारा दिन। मगर मोक्ष में जाने के लिए तो बात अलग है।
दादाश्री : धंधा ऐसे ही चाल रखना। अंदर बैठे है. वो ही भगवान सब सुनता है। अभी दूसरा बहारवाला भगवान किसी का सुनता नहीं। क्योंकि बाहरवाले को तो बहुत फोन आते है तो किसी की बात सुनता ही नहीं। इसलिए आप अंदरवाले को फोन करना। उनका नाम क्या है? 'दादा भगवान' है। रोज सुबह में पाँच दफे बोलना कि, 'हे दादा भगवान, हमको ये ऐसा बूरा धंधा अच्छा नहीं लगता। अभी परेशानी ऐसी आ गयी है और समाज भी ऐसा हो गया है मगर हमको बहुत बुरा लगता है। हम इसके लिए माफी माँगते है, फिर ऐसा कभी नहीं करेंगे।' इतना बोलने से कोई अडचन नहीं आयेगी। धंधे में तो तुम्हारे सब हरीफ है, वो हरीफ के साथ चलना ही पडता है न? मगर ऐसे रोज माफी माँगना। तो तुम्हारी जोखिमदारी नहीं। बाद में तीनचार साल में तुम्हारे हाथ से धंधे में बिलकुल कपट नहीं होगा।
व्यापार तो ऐसी चीज है कि दो साल अच्छा भी जाता है और दो साल बूरा भी जाता है। व्यापार का दो ही किनारे है, मुनाफा और घाटा। Elevate भी होता है और कभी depress भी होता है। मगर खुद का realise हो गया तो अंदर शांति हो जायेगी। वो शांति बढ़ती बढ़ती फिर बिलकुल समाधि ही रहेगी, सदा के लिए। फिर depress नहीं होगा।
अपनी सेफसाइड़ के लिए धर्म समझना चाहिये। दुनिया में दो चीज काम करती है, पाप और पुण्य । जब पुण्य प्रगट होता है तो अच्छी जगह मिलती है, सब जगह में अच्छा खाना-पीना मिलता है, सब संयोग अच्छे अच्छे मिलता है। जब पाप प्रगट होता है, तो सब संयोग बुरे हो जाते है। वो time क्या करने का? सेफसाइड कैसे रहेगी? ऐसी safe side के लिए धर्म समझना चाहिये।
अन्डरहेन्ड के अन्डरहेन्ड बन सकोगे? ये धर्म क्या है? वो relative है। वो भौतिक सुख के लिए है।
व्यापार में धर्म रखा?
प्रश्नकर्ता : दादाजी, हमारा धंधा ऐसा है कि उसमें झूठ और छल-कपट करना पडता है, हमको वह पसंद नहीं है, फिर भी करना पडता है, तो इसके लिए क्या करना? धंधा छोड देना?