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कर्म का सिद्धांत
कर्म का सिद्धांत
मोक्ष है न?
दादाश्री : आप जो कर्म करते है, वो कर्म आप खुद नहीं करते मगर आपको ऐसा लगता है कि, 'मैं करता हूँ।' इसका कर्ता कौन है? 'रविन्द्र' है। 'आप' अगर 'रविन्द्र' है, तो 'आप' कर्म के कर्ता है और 'आप' अगर 'आत्मा' हो गये, तो फिर 'आप' कर्म के कर्ता नहीं है। फिर
आपको कर्म लगता ही नहीं। आप 'मैं रविन्द्र हूँ' बोलकर करता है। हकीकत में आप रविन्द्र है ही नहीं, इसलिए कर्म लगता है।
प्रश्नकर्ता : रविन्द्र तो लोगों के लिए है मगर आत्मा जो होती है. वो कर्म कराती है न?
दादाश्री : नहीं। आत्मा कुछ नहीं कराता, वो तो इसमें हाथ ही नहीं डालता। only scientific circumstential evidences सब करता है। आत्मा वो ही भगवान है। आप आत्मा को पिछानो (पहचानो) तो फिर आप भगवान हो गये, मगर आपको आत्मा की पहचान हुई नहीं है न! इसके लिए आत्मा का ज्ञान होना चाहिए।
प्रश्नकर्ता : उसके लिए, आत्मा की पहचान होने के लिए टाईम लगता है, Study करनी पडती है न?
दादाश्री : नहीं, वो लाखों जन्म Study करने से भी नहीं होता है। "ज्ञानी पुरुष" मिल जावे तो आपको आत्मा की पहचान हो जायेगी।
'मैं ने किया' बोला कि कर्मबंध हो जाता है। ये मैं ने किया' इसमें 'egoism' है और 'egoism' से कर्म बंधता है। जिधर egoism ही नहीं, 'मैं ने किया' ऐसा ही नहीं है, वहाँ कर्म नहीं होता है। खाना भी रविन्द्र खाता है, आप खुद नहीं खाते कभी। सब बोलते है कि, 'मैं ने खाया', वो सब गलत बात है।
आत्मा नहीं है। बात समझ में आती है न ? आपका सब कौन चलाता है? धंधा कौन करता है?
प्रश्नकर्ता : हम ही चलाते है।
दादाश्री : अरे, तुम कौन है चलानेवाला? आपको संडास (शौच) जाने की शक्ति है? कोई डॉक्टर को होगी?
प्रश्नकर्ता : किसी को नहीं है।
दादाश्री : हमने बडोदा में foreign return सब Doctors को बुलाया और बोला कि, 'तुम्हारे किसी में संडास (शौच) जाने की शक्ति है?' तब वो कहने लगे, 'अरे, हम तो बहुत पेशंट को करा देते हैं।' फिर हमने बताया कि भई, जब तुम्हारा संडास बंध हो जायेगा, तब तुमको मालूम हो जायेगा कि वो हमारी शक्ति नहीं थी, तब दूसरे डॉक्टर की जरूरत पड़ेगी । खुद को संडास जाने की भी स्वतंत्र शक्ति नहीं है और ये लोग कहते है कि 'हम आया, हम गया, हम सो गया, हमने ये किया, वो किया, हमने शादी की।' शादी करनेवाला त चक्कर कौन है?! शादी तो हो गई थी। पूर्व योजना हो गई थी, उसका आज रूपक में आया। वो भी तुमने नहीं किया, वो कुदरत ने किया है। सब लोग 'ईगोइज्म' करता है कि मैं ने ये किया, मैं ने वो किया। मगर तुमने क्या किया? संडास जाने की तो शक्ति नहीं है। ये सब कुदरत की शक्ति है। वो भ्रांति है। दूसरी शक्ति आपके पास कराती है और आप खुद मानते है कि मैं ने ये किया।
कर्म, कर्मफल का Science ! दादाश्री : आपका सब कुछ कौन चलाता है?
प्रश्नकर्ता : सब कर्मानुसार चल रहा है। हर आदमी कर्म में बंधा हुआ है।
दादाश्री : वो कर्म कौन कराता है?
प्रश्नकर्ता : वो रविन्द्र सब करता है? दादाश्री : हाँ, रविन्द्र सब खाता है और रविन्द्र ही पुद्गल है, वो