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कर्म का सिद्धांत
कर्म का सिद्धांत
आता है और कई लोग ज्यादा पढते है तो भी फेईल होते है।
प्रश्नकर्ता : उन लोगों का दिमाग अच्छा होगा।
दादाश्री : इन लोगों का दिमाग अलग अलग क्यों है? वो पिछले जन्म के कर्म के फल के मुताबिक दिमाग है सब का।
प्रश्नकर्ता : जो पिछे का होता है, उसका ये जन्म में कहने से क्या फायदा? करनी-भरनी तो इसी जन्म में ही होनी चाहिए। ताकि हमको पता चले कि हमने यह पाप किया तो उसका यह फल भोग रहे है।
दादाश्री : हाँ, हाँ, वो भी है। मगर ये कैसे है कि जो causes किया है, उसका फल क्या मिलता है? ये छोटा बच्चा होता है, वो किसी को पथ्थर मारता है, वो उसकी जिम्मेदारी है। मगर उसको मालूम नहीं है कि इसकी क्या जिम्मेदारी है। वो पथ्थर मारता है, वो पिछले कर्म से ये करता है। फिर जिसको पथ्थर लग गया, वो आदमी ये बच्चे को मारेगा तो ये पथ्थर मार दिया, उसका फल मिलता है।
कोई आदमी किसी के साथ गुस्सा हो गया, फिर वो आदमी बोलता है कि, 'भाई, मेरे को गुस्सा होने का विचार नहीं था, मगर गुस्सा ऐसे ही हो गया। तो फिर ये गुस्सा किसने किया? वो आगे के कर्म का परिणाम है। वो क्रोध करता है, वह आगे के causes की effect है। ये भ्रांतिवाले लोग क्या बोलते है? ये गस्सा किया. उसको कर्म बोलते है और मार खाया, वो उसके कर्म का फल है, ऐसा बोलते है। फिर लोग क्या बोलते है कि 'क्रोध मत करो।' अरे, मगर गुस्सा करना अपने हाथ में नहीं है न? वो आपको नहीं करने का विचार है, तो भी हो जाता है, उसका क्या इलाज? ये तो पिछले जन्म के कर्म का फल है।
experience नहीं हुआ है? तुम्हारा विचार है, आज जल्दी नींद लेना है, तो फिर नींद नहीं आती ऐसा नहीं होता?
प्रश्नकर्ता : होता है।
दादाश्री : तुम्हारी तो मरजी है, मगर तुमको कौन अंतराय करता है? कोई दूसरी शक्ति है, ऐसा लगता है न? कभी गुस्सा आ जाता है कि नहीं, तुम्हारी इच्छा गुस्सा करने की न हो, तो भी?
प्रश्नकर्ता : फिर भी हो जाता है। दादाश्री : वो गुस्सा के creator कौन? प्रश्नकर्ता : उसको हम आत्मा कहता है।
दादाश्री : नहीं, आत्मा ऐसा नहीं करती। आत्मा तो भगवान है। वो क्रोध तो तुम्हारी weakness है। कर्म देखा है आपने? ये आदमी कर्म कर रहे है, ऐसा देखा है? कोई आदमी कर्म करता है, वो आपने देखा है?
प्रश्नकर्ता : उसके action से अपने को मालूम पडता है।
दादाश्री : कोई आदमी किसी को मारता है तो आप क्या देखता है?
प्रश्नकर्ता: वह पाप करता है, वह कर्म करता है।
दादाश्री: ये world में कोई आदमी कर्म देख सकता ही नहीं। कर्म सूक्ष्म है। वो जो देखता है, वह कर्मचेतना देखता है। कर्मचेतना निश्चेतन चेतन है, वो सच्चा चेतन नहीं है। कर्मचेतना आपकी समझ में
आयी?
कौन चलाता है, वो समझ में आ गया न? Pass होने का कि नहीं होने का, वो आपके हाथ में नहीं है। तो वो 'रविन्द्र के हाथ में है?' हाँ, थोडा 'रविन्द्र' के हाथ में है, only 2 % और 98% दूसरे के हाथ में है। तुम्हारे उपर दूसरे की सत्ता है, ऐसा मालूम नहीं होता है? ऐसा
प्रश्नकर्ता : कर्म की defination बताईए। दादाश्री : जो आरोपित भाव है, वो ही कर्म है।