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दान
दान
दान किस लिए? प्रश्नकर्ता : यह दान किस लिए किया जाता है?
दादाश्री : ऐसा है, वह खुद दान देकर कुछ लेना चाहता है। सुख देकर सुख पाना चाहता है। मोक्ष के लिए दान नहीं देता। सुख लोगों को दो तो आपको सुख मिलेगा। जो आप देते हो, वह पाओगे। इसलिए, यह तो नियम है, वह तो देने से हमें मिलता है, प्राप्ति होती है। ले लेने से फिर चला जाता है।
प्रश्नकर्ता : उपवास करना अच्छा है या कुछ दान करना अच्छा है?
रुपये देते हो, फिर भी सुख होता है, क्योंकि अच्छा काम किया। अच्छा काम करें तो सुख होता है और खराब काम करें, उस घडी द:ख होता है। उस पर से हमें पता चलता है कि कौन-सा, अच्छा और कौन-सा बुरा?
आनंद प्राप्ति के उपाय प्रश्नकर्ता : मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए मनुष्य किसी गरीब, किसी अशक्त की सेवा करे या भगवान की भजना करे या फिर किसी को दान दे? क्या करना चाहिए?
दादाश्री : मानसिक शांति चाहिए तो अपनी चीज़ दूसरे को खिला देनी। कल आइसक्रीम का पीपा भरकर लाना और इन सबको खिलाना। उस घड़ी आनंद तुझे कितना सारा होता है, वह त मुझे कहना। उन लोगों को आइस्क्रीम खानी नहीं है। तू तेरे शांति का प्रयोग करके देख। ये कोई सर्दी में फालतू नहीं है, आइस्क्रीम खाने को। इस प्रकार त जहाँ हो वहाँ कोई जानवर हो, ये बंदर होते हैं, उन्हें चने डालें तो वे उछलकूद करते हैं। वहाँ तेरे आनंद की सीमा नहीं रहेगी। वे खाते जाएँगे और तेरे आनंद की सीमा नहीं रहेगी। इन कबूतरों को तू दाना डाले उससे पहले कबूतर ऐसे उछलकूद करने लगते हैं। और तूने डाला, तेरी खुद की वस्तु दूसरों को दी कि भीतर आनंद शुरू हो जाएगा। अभी कोई मनुष्य रास्ते में गिर गया और उसका पैर टूट गया और खून निकलता हो, वहाँ तू अपनी धोती फाड़कर ऐसे बाँधे, उस समय तुझे आनंद होगा। भले ही सौ रुपये की धोती हो, उसे फाड़कर तू बांधे, पर उस घड़ी तुझे आनंद खूब होगा।
दान, कहाँ दिया जाए? प्रश्नकर्ता : कुछ धर्मों में ऐसा कहा है कि जो कुछ कमाया हो, उसमें से कुछ प्रतिशत दान करो, पाँच-दस प्रतिशत दान करो, तो वह कैसा है?
दादाश्री : दान करना यानी, खेत में बोना। खेत में बोकर आना, फिर उसका फल मिलेगा। और उपवास करने से भीतर जागृति बढ़ेगी। लेकिन शक्ति अनुसार उपवास करने को भगवान ने कहा है।
दान का मतलब ही सुख देना दान यानी दूसरे किसी भी जीव को, मनुष्य हो या दूसरे प्राणी हों, उन्हें सुख देना, उसका नाम दान। और सबको सुख दिया इसलिए उसका 'रीएक्शन' हमें सुख ही मिलता है। सुख दो तो तुरंत ही सुख आपको घर बैठे आएगा!
आप दान देते हो, तब आपको अंदर सुख होता है। खुद के घर के
दादाश्री : धर्म में दान करने में हर्ज नहीं है, परन्तु जहाँ पर धर्म की