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दान
का मोह नहीं होता। वे तो 'शुद्ध उपयोगी' होते हैं!
दान देते समय 'मैं दान देता हूँ' ऐसा भाव होता है। उस समय पुण्य के परमाणु खिंचते हैं और बुरा काम करते समय पाप के परमाणु खिंचते हैं। वे फिर फल देते समय शाता फल देते हैं अथवा अशाता फल देते हैं। जब तक अज्ञानी हों, तब तक फल भुगतते हैं, सुख-दुःख भुगतते हैं। जब कि ज्ञानी उसे भोगते नहीं, 'जाना' करते हैं।
लक्ष्मी का सदुपयोग किस में? प्रश्नकर्ता : पर मानो कि किसी के पुण्य कर्म से उसके पास लाखों रुपये हो जाएँ, तो उसे गरीबों में बाँट देना या फिर खुद ही उपयोग करना?
दादाश्री : नहीं, वे पैसे घर के लोगों को दु:ख नहीं हो, उस तरह खर्च करने चाहिए। घर के लोगों से पूछना कि 'भैया, तुम्हें अड़चन नहीं है न?' तब वे कहें, 'नहीं, नहीं है।' तो वह लिमिट उसकी, पैसे खर्च करने की। इसलिए फिर हमें उसके अनुसार करना चाहिए।
प्रश्नकर्ता : सन्मार्ग पर तो खर्च करना है न?
दादाश्री : फिर, बाकी सारे सन्मार्ग पर ही खर्च करने चाहिए। घर में खर्च होंगे, वे सारे गटर में ही जाएँगे। और अन्यत्र जो खर्च होंगे, वे आपके खुद के लिए ही सेफसाईड हो गई। हाँ, यहाँ से साथ में ले जाए नहीं जाते, पर दूसरे रास्ते सेफसाईड की जा सकती है।
प्रश्नकर्ता : पर वैसे तो वह साथ में ही ले गए, जैसा कहलाता है न?
दादाश्री : हाँ, साथ में ले जाने जैसा ही, अपनी सेफसाईडवाला। यानी किसी भी राह दूसरों को कुछ भी सुख मिले, उसके लिए खर्च करने चाहिए। वह सब आपकी सेफसाईड है।
प्रश्नकर्ता : लक्ष्मी का सदुपयोग किसे कहते हैं?
दादाश्री : लोगों के उपयोग के लिए या भगवान के लिए खर्ची, वह सदुपयोग कहलाता है।
हमारी भी भावना सदा रही मेरे पास लक्ष्मी होती तो मैं लक्ष्मी भी देता. पर ऐसी कछ लक्ष्मी मेरे पास अभी आई नहीं और आए तो अभी भी देने के लिए तैयार हूँ। क्या मुझे कुछ साथ ले जाना है सब? पर कुछ दो सभी को! फिर भी जगत् को लक्ष्मी देने के बजाय, किस प्रकार इस संसार में सभी सुखी हों, जीवन कैसे जीया जाए, ऐसा मार्ग दिखलाओ। लक्ष्मी तो दस हज़ार दें न तो दूसरे दिन वह नौकरी बंद कर देगा, इसलिए नहीं देते लक्ष्मी। इस प्रकार लक्ष्मी देना गुनाह है। मनुष्य को आलसी बना देता है। इसलिए बाप को बेटे के लिए लक्ष्मी अधिक नहीं देनी चाहिए, वर्ना बेटा शराबी हो जाएगा। मनुष्य को चैन मिला कि बस, दूसरे उलटे रास्ते लग जाता है।
बच्चों को देना या दान करना? प्रश्नकर्ता : पुण्य के उदय से ज़रूरत से ज्यादा लक्ष्मी की प्राप्ति हो तो?
दादाश्री : तो खर्च कर देनी चाहिए। संतानों के लिए अधिक रखनी नहीं चाहिए। उन्हें पढ़ाना-लिखाना, सब कम्प्लीट करके, उन्हें सर्विस पर लगा दिया, तो फिर वे काम पर लग गए। इसलिए बहुत रखनी नहीं चाहिए। थोड़ा बैन्क में, किसी जगह पर रख छोड़ना, दस-बीस हजार, तो कभी मुश्किल में पड़ा हो तो उसे दे देना। उसे बताना नहीं कि, भाई मैंने रख छोड़े हैं। हाँ, नहीं तो मुश्किल में नहीं आते हों तो भी खड़ी कर देंगे।
एक व्यक्ति ने मुझसे प्रश्न किया कि 'बच्चों को कुछ नहीं देना चाहिए?' मैंने कहा, 'संतानों को देना चाहिए। हमारे बाप ने हमें जो दिया हो वह सभी देना चाहिए। बीच का जो माल है, वह अपना। उसे हम चाहे