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भुगते उसीकी भूल
ड्राईवरके हाथसे स्टीयरींग पर अंकुश नहीं रहने की वजहसे फूटपाथ पर चढ़ जाती है अऔ बस स्टेन्ड तोड़कर उस स्त्रीको कुछल देती है । वहाँ पाँचसौ लोगोंकी भीड़ जमा हो जाती है। उन लोगोंसे कहें कि " इसका न्याय कीजिए" तब वे लोग कहेंगे, कि, "बेचारी यह स्त्री बेगुनाह मारी गई । इसमें स्त्रीका क्या कसूर ? यह ड्राईवर नालायक है।" उसके बाद चार-पाँच अक्लमंद इकटढा होकर कहेंगे, "ये बस ड्राईवर कैसे है, ईन लोगोको तो जेल में बन्द कर देना चाहिए, ऐसा करना चाहिए (9) वैसा करना चाहिए । बाई बेचारी बस स्टेन्ड पर खड़ी थी उसमें उसका क्या कसूर था ?" मरे घनचक्कर। अबे मूए, उसका गनाह तुम्हें मालूम नहीं । गुनाह थ इसलिए तो उसकी मौत हुई। अब इस ड्राईवर का गुनाह पकड़े जाने पर, केस चलनेके बाद, गुनाह साबित हुआतो गिना जायेगा और बेगुनाह साबित हुआ तो छूट जायेगा । उस बाईका गुनाह आज पकड़ा गया अबें, बिना हिसाब कोई मारता होगा ? बाईने पिछला हिसाब चुकता किया । समझ जाना चाहिए, बाईने भुगता इसलिए बाईकी भूल । बादमें ड्राईवर पकड़ा जायेगा तब ड्राईवर की भूल आज जो पकड़ा गया वह गुनहगार ।
उपरसे कुछ लोग क्या कहते हैं ? कि यदि भगवान होता तो ऐसा होता ही नहीं। इसलिए भगवानके जैसी कोई चीज़ ही संसारमें नहीं लगती, यह बाईका क्या गुनाह था ? भगवान अब इस दुनियामें नहीं रहा । लिजिए ? भगवानको क्यों बदनाम करते हो ? उसका घर क्यों खाली करवातेहो ? भगवानके पास घर खाली करवाने निकल पड़े है। अबे, यह भगवान नहीं होता तो फिर रहा क्या इस संसार में ? ये लोग क्या समझे कि भगवानकी सत्ता नहीं रही है । इसलिए लोगोकी भगवान पर आस्था नहीं रहती । अबे, ऐसा नहीं है । यह सभी हिसाब आगेसे चले आ रहे है। यह एक ही अवतारकी बात नहीं है। आज उस बाईकी भूल पकड़ा गई इसलिए उसे भुगतना पडा । यह सब न्याय है। वह औरत कुचल गई, वह तो न्याय है । अर्थात कानूनन है यह संसार। इसलिए बात ऐसे संक्षिप्त में इतनी ही है।
यदि यह ड्राईवरकी भूल होती तो सरकार का कड़ा कानून होता,
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भुगते उसीकी भूल इतना कड़ा कि उस ड्राईवरको वही का वही खड़ा करके गोलीसे उड़ाकर मौत के घाट उतार देते। लेकिन यह तो सरकार भी नहीं कहती, क्योंकि ख़तम नहीं कर सकते, वास्तवमें गुनहगार नहीं है। उसने खुद नया गुनाह किया है, वह गुनाह जब वह भुगतेगा तब । पर आपको गुनाह से मुक्त किया है । आप गुनाहसे मुक्त हुए है । वह गुनाहसे बंध गया है। इसलिए हमने गुनाहसे नहीं बंधनेकी सद्बुद्धि देनेकी कहा ।
(10) एक्सिडन्ट माने तो.....
इस कलयुगमें एक्सिडन्ट ( अकस्मात ) और इन्सिडन्ट (घटना) ऐसे होते है कि मनुष्य दुविधामें पड़ जायेगा । एक्सिडन्ट माने क्या ?" सो मेनी कॉझीझ एट ए टाईम' (कई कारन एकही समय) इसी लिए हम क्या कहते है कि "भुगते उसीकी भूल" और वह तो पकड़ा जायेगा, तभी उसकी भूल समझी जायेगी ।
यह तो जो पकड़ा गया, उसे चोर कहते है । यह ऑफिसमें एक आदमी पकड़ा गया उसे चोर कहते हैं तो क्या ऑफिसमें और कोई चोर नहीं है ?
प्रश्नकर्ता: सभी के सभी है ।
दादाश्री : पकड़े नहीं गये वहाँ तक शाहुकार । कुदरतका न्याय तो किसीने जाहिर ही नहीं किया न बहुत ही संक्षेपमें है। इसलिए हल निकल आये न । शोर्टक्ट । यह एक ही वाक्य समझ लेने पर संसारका बहुत सारा बोझ उतर जायेगा ।
भगवानका कानून तो क्या कहता है कि जिस क्षेत्रमें जिस समय पर जो भुगतता है, वह खुद ही गुनहगार है । उसमें किसीसे भी, किसी वकीलसे भी पूछनेकी आवश्यकता नहीं है । यह किसीकी जेब कटने पर, काटनेवालेके लिए आनंदकी परिणती होगी, वह तो जलेबिर्या उड़ाता होगा, हॉटेलमें चाय-पानी और नाश्ता करता होगा और ठीक उसी समय जिसकी