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भावना से सुधरे जन्मोजन्म
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भावना से सुधरे जन्मोजन्म
दादाश्री : पहले जो करता था वैसा ही प्रतित होता है, मगर वैसा है नहीं। उस (नौ कलमोंवाली भावना की) ओर मन का झुकाव है लेकिन वह झुकाव निश्चित रूप से इस प्रकार होना चाहिए, डिजाइन अनुसार होना चाहिए।
प्रश्नकर्ता : डिजाइन अनुसार यानी किस प्रकार, दादाजी?
दादाश्री : ये भावना में जो लिखा है उसके अनुसार, यथार्थ रूप से। बाक़ी वैसे तो मुझे साधु-संतो को परेशान नहीं करना है ऐसा होता है, फिर भी उन्हें परेशान करते हैं। उसका कारण क्या है? डिजाइन अनुसार नहीं है इसलिए। वह डिजाइन अनुसार हो तो ऐसा नहीं होगा।
प्रश्नकर्ता : ये नौ कलमें हैं, उन्हें समझदारी से जीवन में लानी चाहिए?
दादाश्री : नहीं, ऐसे कुछ समझदारी से लाना नहीं है। हम क्या कहते हैं कि यह हमने जो कहा है ऐसे शक्ति माँगो केवल। वह शक्ति ही आपको वहाँ एक्जेक्टनेस में लाकर रख देगी। आपको अपनी समझदारी से कुछ नहीं करना है। यह तो हो ही नहीं सकता, मनुष्य नहीं कर सकता। यदि समझदारी से करने जाये तो होनेवाला नहीं है। कुदरत को सौंप दीजिए। इसलिए 'हे दादा भगवान ! शक्ति दो।' ऐसे शक्ति माँगने से शक्ति अपने आप प्रकट होगी, बाद में यथार्थ रूप से होगी।
यह तो बहुत ऊँची वस्तु है। लेकिन जब तक समझ में नहीं आता तब तक सब ऐसा ही!
मैंने ऐसा किसलिए कहा होगा कि शक्ति माँगना, शक्ति दो ऐसा? खुद डिजाइन नहीं कर सकता। मूल डिजाइन कैसे बना सकता है? अर्थात (आज) यह इफेक्ट है। यह जो शक्ति माँगते हैं, वह कॉज़ है और इफेक्ट बाद में आयेगी। वह इफेक्ट भी किसके द्वारा आती है? दादा भगवान के द्वारा प्रबंधित। इफेक्ट भगवान के शु (द्वारा) आनी चाहिए।
अर्थात् नौ कलमों के अनुसार शक्ति माँगते रहे तो अपने आप ही फिर नौ कलमों में रहेंगे, कई सालों तक...
संसारी संबंध से मुक्त होने के लिए प्रश्नकर्ता : ये जो नौ कलमें दी हैं वह विचार, वाणी और वर्तन की शुद्धता के लिए दी हैं न?
दादाश्री : नहीं, नहीं। अक्रम मार्ग में इसकी ज़रूरत ही नहीं है। ये नौ कलमें तो आपके अनंत अवतार के सबके साथ जो भी हिसाब बँधे हुए हैं, उन हिसाबों में से मुक्त होने के लिए दी है। आपके बहीखाते शुद्ध करने के लिए दी है।
इसलिए ये नौ कलमें बोलने से (लोगों से बंधे) तार छूट जायेंगे। लोगों के साथ जो तार जुड़े हुए हैं, वे ऋणानुबंध आपके मोक्ष में बाधक हैं। इसलिए इन तारों से छूटने के लिए ये नौ कलमें हैं।
इन्हें बोलने से आपके आज तक के जो दोष हुए हैं, वे सारे ढीले हो जायेंगे। और फिर इसका परिणाम तो आयेगा ही। सारे दोष जली हुई रस्सी के समान हो जाते हैं, जिसे यों हाथ लगाते ही ढेर हो जायेंगे।
प्रश्नकर्ता : दोषों के प्रतिक्रमण करने के लिए हम नौ कलमें प्रतिदिन बोला करें तो उसमें भी शक्ति मिलेगी क्या?
दादाश्री : आप नौ कलमें बोलें वह अलग है और इन दोषों का प्रतिक्रमण करें वह अलग है। जो दोष होते हैं, उसके प्रतिक्रमण तो रोज़ाना करने चाहिए।
अनंत अवतार से लोगों के साथ राग-द्वेष के जो हिसाब हुए हों, वे सारे ऋणानुबंध इन नौ कलमों को बोलने से छूट जायेंगे। यह बहुत बड़ा प्रतिक्रमण है। इन नौ कलमों में सारे संसार का प्रतिक्रमण आ जाता है। इन्हें अच्छी तरह करना। हमने आपको दिखा दिया है, फिर हम तो अपने देश (मोक्ष) में चले जायेंगे न!