________________
षोडशं परिशिष्टम् ॥ पाल्हणपुत्रकृत आबूरास ॥
६० ॥ पणमेविण सामिणि वाएसरि, अभिनवु कवितु रयं परमेसरि । नंदीवरधनु जासु निवासो, पभणउ नेमिजिणंदह रासो ॥१॥ गूजरदेसह मज्झि पहाणं, चंद्रवती नयरि वक्खाणं । वावि सरोवर सुरहि सुणीअइ, बहुयारामिहि ऊपम दीजइ ॥२॥ त्रिग चाचरि चउहट विथारा, प(म)ढ मंदिर धवलहर पगारा । छत्रिस राजकुली निवसेइ, धनु धनु धम्मिउ लोकु वसेइ ॥३॥ राजु करइ तह(हिं) सोमनरिंदो, निम्मल सोलकला जिम चंदो । हिव वन्नउ गिरि पुहवि प्रसिद्धं, बहुयहं लोयहं तणउ जु तीथो ॥४|| घण वणरायहं सजल सठाउं. तहिं गिरिवर पण आब नाउं । तसु सिरि बारह गाम निवासो(सी), राठी गूगलिया तहिं तपसी ॥५॥ तसु सिरि पहिलउ देउ सुणीजइ, अचलेसरु तसु ऊपमु दीजइ । तहि छइ देवत बालकुमारी, सिरि मा सामिणि कहउ विचारी ॥६॥ विमलिहिं ठवियउ पावनिकंदो, तहि छइ सामिउ रिसहजिणिंदो । सानिधु संघह करइ संखेवी, तहि छइ सामिणि अंबाएवी ॥७|| पुरुव्व पच्छिम धम्मिय तहिं आवहिं, उत्तर दक्खिण संघु जिणवरु न्हावहिं । पेखहि मंदिरु रिसह खत्ता (वन्ना?), नाचहि धम्मिय बहु गुणवत्ता(न्ना) ॥८॥ धनु धनु विमलडि जेणि कराविउ, ससिमंडलि जिणि नाउ लिहाविउ । बिहुँ सइ वरिसह अंतरु मुणीजइ, बीजउ नेमिहि भुवणु सुणीजइ ॥९॥
१. प्रणम्य ।। २. रचयामि ॥ ३. चत्वर ॥ ४. चौटां ॥ ५. नाम ।।