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[ 67 ] पौराणिक कथाएँ
प्रथम सर्ग सर्ग श्लोक
ब्रह्मापुत्र-नारद के जन्म की कथा, भाग० १, ५, ६ वायु० ५२.३; ६१.८५; १०५.२ अनूरु = अरुण की कथा, भाग० ६.६.२२ कृत्तिवास- गजासुर की कथा, ब्रह्मा० २.९.६९
मत्स्य० १८१.१४ वायु० २१.५१ १५ चिरन्तनमुनि नरनारायण की कथा, मत्स्य० १७०.१
कैटभारि – (कैटभ नामक दैत्य) १७८.६ - १८ भाग ३ - २४,१८, ६.१२.१; १०.४०.१७ हिरण्यकशिपु:-रामच० मा० बाल० १२१-१२२ दशमुख रावण-रामच० मा० बाल० १७५-१७६; १७६.१-३ नमुचिद्विषः (इन्द्र) वामनपु० अ० ५२, विष्णु० १.२१.१२
भाग ६.१०.१९ - ३१ ६७-६८ सीताहरण की कथा ६९-७० शिशुपाल के जन्म की कथा-महाभा० आदि ६७.५; १८५.२३
द्वितीय सर्ग ३८ रुक्मिणोहरण की कथा-विष्णु० ५.२८.१-२; भाग १०.५२-५३ ३९ भीमासुर (नरकासुर) के वध की कथा- भाग १०, अ० ५९
'बभ्रु' – यदुवंशीराजा थे, जब उनकी पत्नी सौवीर देश को जा रही थी, तब शिशुपाल ने, उस पर काममोहित होने के कारण, उसका अपहरण कर लिया था । महाभा० अभापर्व राहु-कथा भाग ८, अ.० ८-९ जरासन्ध कथा- महाभा० सभापर्व बाणासुर कथा- भाग ८.१०.१९,३०, १०.२.२
मत्स्यपु. १८७.२५-४५ ९८ कालयवन कथा- भाग १०-५०.४४-९; ४१.१-१२
विष्णु-५.२३.५-८, १७-२३ १०७ समुद्रमन्थन कथा-मत्स्यपु० २४९.१४ से लेकर अध्याय २५०.२५१
पूरा, वायु० २३.९० आदि