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दुष्ट ग्रह रोग शोक जरा जंतुने, ताव एकांतरो दिन तपते गर्भ भंदनवारण सर्प वींछी विष, बालिका बाळनी व्याधि हंते, ॐजीतुं० शायणि डायणि रोहीणी, रांधणी, फोटीका मोटिका दुष्टहंती दाढ उदर तणी कौल नोला तणी, स्वान शियाल विकराल दंती ॐजीतुं० धरणी पदमावती समरी शोभवती, वाट अघाट अटवी अटन्ते; लक्ष्मी हुँदो मले सूजस वेला वळे सयल आशाफले मनहसंते, ॐजीतुं० अष्ट महाभय हरे कान पीडा टळे, उतरे शूल शीशक भणंते; वदति वर प्रीतश्युं प्रीति विमल प्रभो, पार्श्वजीन नाम अभिराम मंते ॐजीतुं०
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