________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
जनम जरा मरणे करीए. आ संसार असार तो; कर्यां कर्म सहु अनुभवे ए, कोइ न राखणहार तो १ शरण एक अरिहंतनु ए, शरण सिद्धभगवंत तो; शरण धर्म श्रीजिननो ए, साधुशरण गुणवंततो २ अवर मोह सवि परिहरीए, चारशरण चित्तधार तो: शिवगति आराधनतणो ए. ए पांचमोअधिकार तो ३ आ भव परभव जे कर्यां ए, पापकर्म केइ लाख तो; आत्म साखे ते निंदीए ए, पडिक्कमिए गुरुसाख तो ४ मिथ्यामति वर्तावियाए, जे भाख्यां उत्सूत्र तो; कुमति कदाग्रहने विशे ए, जे उथायां सूत्र तो ५ घड्या घडाव्यां जे घणांए, घरंटी हळ हथीयार तो; भव भव मेली मूकीयां ए, करतां जीवसंहार तो . ६ पापकरीने पोषीया ए, जनम जनम परिवार तो; जनमांतर पोहोत्या पछी ए, कोइए न कीधी सार तो ७ आ भव पर भव जे कर्या ए, एम अधिकरण अनेक तो; त्रिविधे त्रिविधे वोसरावीए ए, आणी हृदयविवेक तो ८ दुष्कृतनिंदा एम करीए, पाप करो परिहार तो; शिवगति आराधनातणो ए, ए छट्ठो अधिकार तो ९
१४६
For Private And Personal Use Only