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परव महोत्सव पहिलो दीजे, रिद्धि वृद्धि कल्याण करो धन्यमाता जेणे उदरे धरीया, धन्यपिता जिणे कुल अवतरिया,
धन्य सद्गुरु जिणे दीक्खियाए
विनयवंत विद्याभंडार,
जस गुण पुहवी न लभे पार, रिद्धि वृद्धि कल्याणकरो गौतमस्वामिनो रास भणीजे, चउविहसघ रलियायत कीजे,
सयल संघ आणंद करो
कुंकुम चंदन छडो देवरावो, माणेक मोतीना चोक पुरावो,
रयणसिंहासन बेसणु ए सिंहा बेसी गुरू देशना देसे, भविकजीवनां कारज सरसे,
उयवंतमुनि एम भणे ए
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