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४ जीव पदार्थ सामान्य देखा न जा सके, पर मन द्वारा अवश्य जाना जा सकता है। बस यह परमाणु ही हमारा गज है, जिससे कि हम किसी भी पदार्थको माप सकेंगे, वह पदार्थ जीव हो या आकाश ।
परमाणु जितनी जगहको घेरता है उसे एक 'प्रदेश' कहते हैं । हमारे पास मापे जाने योग्य छह पदार्थ हैं, जिनके कि नाम पहले बताये जा चुके है, तथा जिनका विशेष विस्तार आगे किया जायेगा। उन छहोमे-से जिस भी पदार्थको मापा जाये उसीके एक परमाणु जितने एक भागको एक प्रदेश कहते है । भौतिक जो पुद्गल पदार्थ है उसका एक परमाणु जितना भाग तो स्वय परमाणु ही है, इसलिए परमाणु पुद्गल पदार्थका प्रदेश है। जीव पदार्थका एक परमाणु जितना भाग स्वय परमाणु नहीं है, परन्तु जीव पदार्थका एक प्रदेश है। इसी प्रकार आकाश पदार्थका एक परमाणु जितना भाग उसका एक प्रदेश है।
यहाँ इतना समझ लेना चाहिए कि जीवके प्रदेश या आकाशके प्रदेशका यह अर्थ नही कि ये पदार्थ भी पुद्गल स्कन्धकी भांति अनेको पृथक् पृथक् परमाणुओ या प्रदेशोसे मिलकर बने हैं और इसलिए पुद्गल की भांति हो तोडे भी जा सकते हैं । ऐसा नहीं है। वास्तवमे छहो द्रव्योमे केवल पुद्गल स्कन्ध ही तोडा तथा जोड़ा जा सकता है, इसलिए वह खण्डित है। परन्तु अन्य पांचो द्रव्य न तोड़े जा सकते है और न जोडे जा सकते है, इसलिए वे अखण्डित हैं, जैसे कि आकाश । परन्तु इसका यह अर्थ नही कि वह मापे भी न जा सकें। अखण्डित पदार्थका भी मापा तो जा हो सकता है, जैसे कि आकाशमे एक लाख मीलकी कल्पना कर लेनेपर आकाशका टुकडा नही हो जाता था ४० गजके पपका पान कहने पर उस थानके पृथक्-पृथक् टुकडे नही हो जात । एनो प्रकार किसी भी पदार्थमे कल्पना द्वारा प्रदेग-भेद करने पर उस