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पदार्थ विज्ञान
बताया जाये उसे अन्तर्चक्षुसे अर्थात् अन्तःकरणसे मनन करनेका प्रयत्न कीजिए । अन्त. करणसे मनन करके ही एक वैज्ञानिक पदार्थ के भीतर प्रवेश पा सकता है और उसके रहस्यको जानकर नये-नये अविष्कार कर सकता है । उसी वैज्ञानिक दृष्टिसे देखनेका प्रयत्न कीजिए ।
अब तक इस विश्वके बाहरी रूपका ही विश्लेषण करके यह बताया गया कि पदार्थों के समूहका नाम विश्व है । बाहरसे देखनेके कारण ही वहाँ अनेक असख्य तथा अनन्त पदार्थ दिखाई देते हैं । मनुष्य, पशु, पक्षी, वृक्ष, पृथिवी, धातुएँ, ईंट, पत्थर, जल, वायु और न जाने क्या-क्या । परन्तु यदि इसके हृदयमे प्रवेश करके इसके अन्दरका विश्लेषण करें तो तुम्हे आश्चर्य होगा कि यहाँ अनेक पदार्थ है ही नही । वास्तवमे यहाँ केवल दो पदार्थ हैं । सख्यामे दो कहनेका प्रयोजन नही है, जातिमे दो कहनेका प्रयोजन है । अर्थात् यहाँ केवल दो जातिके पदार्थ हैं- एक जानने-देखनेवाली जातिके और दूसरे न जानने-देखनेवाली जातिके । मनुष्य, पशु, पक्षी आदि जानने-देखनेवाली जातिके हैं और ईंट, पत्थर, लोहा, जल, वायु आदि न जानने-देखनेवाली जातिके ।
जाननेवाली जातिके पदार्थको चेतन कहते है और न जाननेवाली जाति के पदार्थको जड । इन दो जातियोंके अतिरिक्त तीसरी कोई जाति नही है, इसलिए हम कह सकते है कि विश्वमे दो ही पदार्थ हैं - एक चेतन और दूसरा जड ।
३ दोनो पदार्थोंके नाम तथा श्रर्थ
इन दोनो पदार्थोंके लिए शास्त्रोमे भिन्न-भिन्न स्थानोपर भिन्नभिन्न शब्दोका प्रयोग किया गया है । इन सर्व शब्दोका तथा उनके सैद्धान्तिक अर्थोका कुछ परिचय देना आवश्यक है, ताकि शास्त्र