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पदार्थ विज्ञान प्रतिक्षण चली आ रही है। इसी प्रकार आम्र फल तथा मनुप्पादि पदार्थों की पर्याय-माला भी वरावर तरगित च प्रवाहित है, अयात् बरावर बदलती हुई आगे-आगेको दौड़ी चली जा रही है। एक पर्यायके पोछे दूसरी और दूसरोके पोछे तोमरी बगवर प्रतिक्षण दोडी चली जा रही है। आम प्रतिक्षण कच्चेमे पक्फेको मोर बरावर दीडा चला जा रहा है और आप प्रतिक्षण बालकपनेसे वृद्धपनेकी ओर बरावर दीडे चले जा रहे है। विश्वका प्रत्येक पदार्थ तरगित व प्रवाहित है। पदार्थ की पर्यायें ही उसकी तर हैं और उन पर्यायोका आगे-आगे दौडना ही प्रवाह है। इस प्रकार पर्यायमालाको देखनेपर पदार्थ अनित्य दिखाई देता है।
परन्तु जिस प्रकार नदोका जल तरगित व प्रवाहित रहते हुए भी जल ही रहता है वदलकर अग्नि नही हो जाता और आम्रफल तथा मनुष्यादि तरगित व प्रवाहित रहते हुए भी आम्र तथा मनुष्यादि ही रहते है वदलकर आकाश या पत्यर नही बन जाते , उसी प्रकार जगत्का प्रत्येक पदार्थ तरगित व प्रवाहित रहते हुए भी वह का वह ही रहता है, बदलकर अन्य नही बन जाता। इस प्रकार से पदार्थको देखनेपर वह वही का वही दिखाई देता है। ___ इस प्रकार एक ही पदार्थको विभिन्न दृष्टियोसे नित्य तथा अनित्य दोनो प्रकारका देखा जा सकता है। इसलिए हम कह सकते है कि पदार्थ नित्य व अनित्य दोनो स्वभाववाला है : मूलभूत पदार्थ सदा नित्य रहता है परन्तु उसकी अवस्था या पर्याय अनित्य होती है।
इस विश्वपर सूक्ष्मतासे दष्टि डालनेपर यहां हमको कुछ भी नित्य दिखाई नही देता, सभी अनित्य व क्षणिक हैं। प्रत्येक पदार्थ नयेसे पुराना होता हुआ बराबर क्षीणता या विनाशकी ओर दौडा