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पदार्थ विज्ञान ___ आगे पोछे उत्पन्न हो होकर विलीन होनेवाली ये अवस्थायें या पर्याये ही पदार्थ नहीं है, यह भी समझ लेना चाहिए। हमारे सामने अव दो बातें आ गयो है-पदार्थ तथा उसकी पर्याय । आम एक पदार्थ है और कच्चा व पक्कापन उसकी अवस्थायें या पर्यायें, अथवा आप एक पदार्थ है और बालक व बूढापन आपकी अवस्थायें या पर्याय, सुवर्ण एक पदार्थ है और कडा व कुण्डल आदि उसकी अवस्थायें या पर्यायें। पदार्थ और उसकी पर्याय इन दोनोमे इतना ही भेद है कि पदाथ ज्यो का त्यो रहता है और अवस्था या पर्याय बदल जाती है। आम ज्यो का त्यो है और उसकी अवस्था या पर्याय बदल गयी है । आप ज्यो के त्यो हैं पर आपकी अवस्था या पर्याय बदल गयी है। ज्योंके त्यो रहनेको आगम भाषामे ध्रुव रहना कहा जाता है। इस प्रकार अवस्थाये या पर्यायें उत्पत्ति व विनाशवाली है और पदार्थ ध्रुव है।
अब देखना यह है कि पर्याय तथा पदार्थ ये दोनो क्या पृथक्पृथक् कोई दो वस्तुयें हैं ? नही, ये दोनों वास्तवमे एक ही हैं, क्योकि पर्याय पदार्थ की ही होती है। पर्यायके बिना पदार्थ और पदार्थक बिना पर्याय नहीं रहती। जहाँ पदार्थ है वहाँ पर्याय अवश्य है
और जहा पर्याय है वहा पदार्थ अवश्य है। बिना कच्चे व पक्के'पनेके आम नही और बिना आमके कच्चा व पक्कापन नही। बिना बालक व बूढेपनेके आप नही और बिना आपके बालक व -बूढापना नही। बिना कडे कुण्डल या फासा डली आदिके सुवर्ण नहीं और विना सुवर्णके कड़ा कुण्डल तथा फासा डली आदि नही । इस प्रकार भले ही समझानेके लिए पदार्थ व पर्याय ऐसे दो नाम लिए हो परन्तु वास्तवमे दोनो एक है।
पदार्थ व पर्याय इन दोनो वातोमे मूलभूत पदार्थ घ्र व अर्थात् ज्यो का त्यो रहता है और पर्याय बदल जाती है अर्थात् उत्पन्न