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२ पदार्थ सामान्य निर्धारण करती है जो कभी भी बाधित न होने पावे। अत तुझे भी पदार्थको परिवर्तनशीलता केवल बाहरसे ही देखकर सन्तुष्ट नही हो जाना चाहिए, बल्कि इसके पीछे छिपे हुए एक सूक्ष्म सिद्धान्तको खोज निकालना चाहिए।
स्थूल दृष्टिसे देखनेपर हमे कुछ पदार्थ तो परिवर्तनशील दिखाई देते हैं, जैसा कि ऊपर दृष्टान्तोमे बताया गया है, परन्तु कुछ पदार्थ ऐसे भी है जो बदलते हुए दिखाई नही देते जैसे कि पाषाण या धातुकी यह प्रतिमा। परन्तु सूक्ष्मदृष्टिसे देखनेपर वास्तवमे ऐसा नही है। प्रत्येक पदार्थ ही बदल रहा है। यह बात अवश्य है है कि कोई पदार्थ अल्प समयमे बदल जाता है और कोई अधिक समयमे । अल्प समयमे बदलनेवाले आम्रफल आदि पदार्थोंका परिवर्तन तो स्थूलदृष्टिमे आ जाता है, परन्तु अधिक समयमे बदलनेवाले प्रतिमा स्तम्भ आदि पदार्थोंका परिवर्तन स्थूलदृष्टिकी पकडमे नही आता । इसका यह अर्थ नहीं कि वह पदार्थ बदलता ही न हो, क्योकि कुछ सैकडो वर्ष बीत जानेपर यह प्रतिमा तथा स्तम्भ भी जीर्ण होता हुआ देखा जाता है। जीर्ण होनेके साथसाथ इसका आजवाला यह अत्यन्त उज्ज्वल रग भी बदलकर कुछ पीला पड़ जाता है । अत यह सिद्धान्त अटल है कि प्रत्येक पदार्थ बदलता अवश्य है।
रूप तथा स्थान-परिवर्तनमे से स्थान-परिवर्तन या गमनागमनके लिए तो यह आवश्यक नही कि पदार्थ हर समय गतिमान रहे। कभी चलते भी हैं और कभी ठहरते भी हैं। परन्तु रूप-परिवर्तन ऐसा है जो प्रतिक्षण हुआ करता है, कभी भी रुकता नही । पदार्थमे प्रतिक्षण क्या परिवर्तन हो जाता है यह बात स्थूल दृष्टिमे नहीं आती, परन्तु एक वैज्ञानिककी विचारशील दृष्टि इसको अवश्य देखती है। यह रहस्य आंखोंसे नही, विचार व तकसे देखा जाता