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पदार्थ विज्ञान १०. बड़ा पदार्थ थोड़ेमे कैसे समाये ___ इसी प्रकार पुद्गल स्कन्धोमे यद्यपि परमाणुओकी गणना करनेपर वे अनन्त प्राप्त होते हैं, परन्तु आकारको अपेक्षा तो वह भी लोकमे मात्र थोड़े ही असख्यात प्रदेश घेरता है। इसमे भी एक रहस्य है जो आगे बताया जायेगा। यहाँ तो केवल इतना ही समझ लीजिए कि जितने प्रदेश या परमाणु किसी पदार्थमे हो वह उतनी ही जगह घेरे यह कोई आवश्यक नही। अधिकसे अधिक उतनी ही जगह घेर सकता है यह तो ठीक है परन्तु उससे कम जगहमे न रह सके यह बात ठीक नहीं। कम जगहमे भी वह रह सकता है, क्योकि जिस प्रकार जीवके प्रदेश सिकुडकर एक दूसरेमे समा जाते हैं उसी प्रकार पुद्गल स्कन्धोमे भी अनेक परमाणु एक दूसरेमे समा सकते हैं । ११. श्राकाश द्रव्यको सिद्धि ___आकाश भले ही एक पोलाहट मात्र प्रतीत होता हो, और इसपर-से भले ही आप इसे कल्पना मात्र या अभाव मात्र रूपसे देखते हो परन्तु वास्तवमे यह भी एक पदार्थ है, विलकुल उसी प्रकार जिस प्रकार कि जीव तथा पुद्गल । अमूर्तिक होनेके कारण इसका स्पर्श हम कर नही पाते और व्यापक होनेके कारण इसकी सीमाएं भी देख नही सकते, इसलिए ऐसा प्रतीत होने लगता है कि यह केवल पोल है कोई स्वतन्त्र पदार्थ नही है पर यह आपकी दृष्टिका दोष है। सभी अमूर्तिक पदार्थ ऐसे ही होते है। जीव भी अमूर्तिक है और आंखोसे प्रत्यक्ष नही देखा जा सकता, फिर भी शरीरमे रहने के कारण उसके कार्योंका अर्थात् सुख दुःख वेदन करनेकी सीमाओ .. का अनुभव तो प्रत्यक्ष करते ही हैं। इसलिए वहाँ ऐसी आशका होनी सम्भव नही है, पर यहाँ न तो सीमा है और न किसी कार्यका प्रत्यक्ष, इसलिए ऐमी आगका होनी स्वाभाविक है। परन्तु आप