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पदार्थ विज्ञान नित्य बोली जानेवाली भाषा है। साथ-साथ मागे जाकर याप शास्त्र भी पढकर उसे समझ सके, इस प्रयोजनको मिद्धिके यर्य, प्रत्येक विपयकी व्याख्या करते हुए सैद्धान्तिक गन्दोके मयं भी बता दिये गए है। २. विश्व क्या है ___ "यह विश्व क्या है", यह सवप्रथम प्रश्न है। हे चेतन ! बता तो सही कि तु विश्व या दुनिया किसे कहता है? क्या इस सर्वव्यापी आकाशको, या वायुमण्डलको, इन वनो व पर्वतोको या नदियो व सागरोको, इस पृथिवी मण्डलको या चन्द्र-सूर्य आदिको, मनुष्य समाजको या पशु-पक्षियोको, ईट-पत्थरोको या सोने चांदीको, मशीनो व हथियारोको या कागजोकी फाइलोको ? आखिर इन सबमे विश्व कौन है या इन सवसे रहित वह विश्व क्या है ? बस हो गया उत्तर । विचारनेसे पता चलता है कि इन सबसे पृथक् विश्व नामका कोई अन्य पदार्थ हो, ऐसा नही है । इन सबका तथा इनके अतिरिक्त जो कुछ भी यहां दिखाई दे रहा है या प्रतीति व अनुमानमे आ रहा है उस सबके समूहका नाम ही विश्व है। इसोको यो कह लीजिए कि पदार्थों के समूहका नाम विश्व है। ३. पदार्थ क्या है ?
अब प्रश्न होता है कि पदार्थ क्या ? इसके लिए अधिक मगज़ मारनेकी आवश्यकता नही, क्योकि जो कुछ भी यहां दिखाई दे रहा है या हमारे काममे आ रहा है, उस सवको वस्तु या पदार्थ कहनेका व्यवहार लोकमे प्रचलित है। पदार्थ कहो, वस्तु कहो, द्रव्य कहो एक ही अर्थ है। इस परसे हम कह सकते हैं कि जो कुछ भी दिखाई देता है या जो कुछ भी यहां है वही पदार्थ है। इसीको सैद्धान्तिक भाषामे कहना हो तो यो कह सकते हैं कि जो