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पदार्थ सामान्य
१. विश्व के विश्लेषणकी आवश्यकता, २. विश्व क्या है, ३ पदार्थ क्या है, ४. सत् क्या है, ५. परिवर्तन क्या है, ६. उत्पाद-व्ययध्रौव्य, ७. नित्य तथा अनित्य स्वभाव, ८ पदार्थ गुणोका समूह है, ९. गुण भी परिवर्तनशील है, १० पदार्थ गुण व पर्यायोंका समूह है, ११ पर्याय ही दृष्ट तथा अनुभूत हैं, १२. सत्की खोज ।
१ विश्वके विश्लेषणको आवश्यकता
भो विश्वकी विचित्र लीलामोमे विलास करनेवाले चेतन । जलको खोजमे भटकते हुए तृषातुर मृगवत् धन सम्पत्ति आदि भौतिक आकर्षणोकी चमकसे अन्धा हुआ, बराबर इधर-उधर भटकता रहा। परन्तु जिस प्रकार भटक-भटककर भी मृगमरीचिकाके असीम सागरमे मृगको जलकी बजाय सन्ताप ही मिलता है, उसी प्रकार तुझे भी यहाँ शान्तिकी बजाय सन्ताप ही मिला है। तू धनके पीछे कर्तव्य-अकर्तव्य तथा हित-अहित सब कुछ भुलाकर स्वार्थी बन गया। आज तू धर्म करने चला है, यह तेरा सौभाग्य है, परन्तु धर्म करनेसे पहले इतना तो भान तुझे होना ही चाहिये कि जिस विश्वमे तुझे रहना है या वर्तन करना है, जिस विश्वमे वर्तन करनेके लिए कर्तव्य-अकर्तव्यका तथा हितअहितका निर्णय तुझे करना है, वह विश्व आखिर क्या है, तथा उसका स्वभाव क्या है ?