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पदार्थ विज्ञान
परमाणुओके मिलनेपर स्कन्धमे ही प्रकट होते हैं, परमाणुमे नही। परमाणु को न कठोर कह सकते है न नरम, न हल्का कह सकते हैं न भारी । अत परमाणुमे केवल दो ही जोडे उपलब्ध होनेके कारण उसमे स्पर्श गुणकी प्रति समय दो पर्याय ही होनी सम्भव हैं चार नही । सलिए स्कन्धमे चार गुणोकी सात पर्यायें हो सकती हैं और परमाणुमे चार गुणोकी पांच पर्याय होनी सम्भव हैं। १२ पुद्गल धर्मोका समन्वय ___ कुछ लोगोका ऐसा मत है कि पृथिवीमे चारो गुण पाये जाते हैं, परन्तु अन्य पुद्गल द्रव्योमे नही । जलमे गन्ध नही होती, उसके बिना केवल तीन-स्पर्श, रस व वर्ण होते हैं। अग्निमे स्पर्श व वर्ण दो ही गुण होते है और वायुमें केवल स्पर्श गुण होता है । वायु तथा जलमे जो कदाचित् गन्धकी प्रतीति होती है वह उनकी अपनी नही होती, बल्कि उनमे मिले हुए पथिवी तत्त्वके कुछ अणुओका होती है। यदि ये शुद्ध हो तो इनमे गन्ध नही हो सकती। इसी प्रकार अन्य तत्त्वोके सम्बन्धमे भी जानना।
परन्तु इस प्रकारकी उन लोगोकी मान्यता वास्तवमे उनकी स्थूल दृष्टिका फल है ओर स्थूल दृष्टिसे देखनेपर भासता भी ऐसा ही है, परन्तु सूक्ष्म दृष्टि प्रत्यक्षपर इतना विश्वास नही करती, जितना कि तर्क तथा युक्तिपर । भले ही वे गुण उन तत्वोमे प्रत्यक्ष न ही सकें परन्तु उनमें हैं अवश्य । सम्भव है कि किसी गणको पयाय किसी पदार्थमे अधिक शक्तिवाली हो और किसी दूसरे गुणका पर्याय कम शक्तिवाली। तर्कपर से इस बातकी सिद्धि हो सकता ह ' कि प्रत्येक पदार्थमे चारो ही गुण पाये जाते है, भले ही वह पृथिवा हो अथवा जल, अग्नि आदि। क्योकि यदि ऐसा न होता तो पृथिवीको विज्ञान द्वारा जल बना दिया जानेपर उसमेसे गन्ध, गुण