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पदार्थ विज्ञान
६. परमाणुका वध-क्रम
स्निग्ध तथा रूक्ष हो जानेपर जव परमाणमे ये दो भेद उत्पन्न हो जाते हैं, तो स्वभावसे ही स्निग्ध परमाणु अर्थात् प्रोटोन निकटवर्ती रूक्ष परमाणु अर्थात् अलैक्ट्रोनको अपनी ओर खेंचता है, क्योकि वह एक दूसरेको आकर्षित करने तथा एक दूसरेके प्रति आकषित होनेकी शक्तिसे युक्त है। एक-एक प्रोटोनके प्रति अनेको अलैक्ट्रोन खिंचकर उसके साथ चिपक जाते हैं जैसे कि एक चुम्बकके प्रति अनेको लोहाणु खिचकर उसके साथ चिपक जाते हैं। परन्तु परमाणुओका यह चिपकाव लोहाणुओवत् नही होता, एक विशेष प्रकारका होता है। चुम्बक तथा लोहाणुओमे तो दोनो वस्तुएँ पृथक्-पृथक् रहती हैं, परन्तु परमाणु परस्परमे मिलकर दूध जल वत् एकमेक हो जाते हैं। इस प्रकारके मिश्रणको रासायनिक मिश्रण कहते हैं।
जिस प्रकार तांवे तथा सोनेको गलाकर एक कर दिया जानेपर वह एक ही पदार्थ बन जाता है, इसी प्रकार इन द्विजातीय परमाणुओके मिल जानेपर वह एक ही पदार्थ बन जाता है। यही परमाणुओंके परस्परमे बंधनेका रहस्य है। अनेको परमाणु परस्परमें बंध जानेपर जो पदार्थ बनते हैं उन्हे स्कन्ध कहते हैं। लोकमें जो कुछ भी दृष्ट हैं वे सव इस प्रकार स्कन्व ही हैं, जो अनेक परमाणुओंसे मिलकर बने हैं, और फटनेपर या फाड़ दिये जानेपर पुनः परमाणु बन जाते हैं ।
परमाणुओके इस प्रकारके बन्धनमे भी एक बात और ध्यानमे रखनी चाहिए । स्निग्धता तथा रूक्षताकी डिग्रियोमे तारतम्य होनेके कारण इन दोनो जातिके परमाणुओमे भी विभिन्नता तथा विचित्रता उत्पन्न हो जाती है । हर परमाणु हर परमाणुके साथ बँध सके ऐसा नहीं है। योग्य शक्तिको धारण करनेवाला हो परमाणु किसी योग्य