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८ पुद्गल-पदार्थ
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पांचो पदार्थों का मेल होनेपर उस मिले हुए पदार्थमे जिस पदार्थका अंश अधिक रहता है वह उसके अनुरूप ही ठोस या तरल दिखाई देता है। पांचोके संघातमे यदि पृथिवीका भाग अधिक हो तो वह मिश्रित पदार्थ ठोस बनेगा, यदि उसमे जलका अधिक्य हो तो तरल बनेगा, उसमे अग्निका भाग अधिक हो तो वह तेजवान तथा उष्ण बनेगा, यदि उसमे वायुका भाग अधिक हो तो वह हल्का तथा सचार करनेवाला बनेगा और यदि आकाशका भाग अधिक हो तो खाली स्थानरूप दिखाई देगा। जैसे कि बरसातके दिनो मे यद्यपि वायुमे जल भी काफी होता है तदपि वह वायु ही कहलाती है, और गरमीके दिनोमे वायुमे अग्निका अश होते हुए भी वह वायु ही कहलाती है। क्योकि जल तथा अग्निकी बजाय वायु ही प्रमुख रूपसे प्रतीतिमे आती है अर्थात् उसका अंश अधिक है।
अब देखिए वनस्पतिको । वृक्ष कैसे बनता है ? बीजको पृथ्वीमे डालकर जल से उसे सिंचन करते हैं। उसमे-से अंकुर फूटता है, जो वायु मण्डलसे वायुको और सूर्यके प्रकाशमे-से अग्निको प्राप्त करके वृद्धि पाता है और फल-फूलोंसे लद जाता है। अत. कह सकते है कि वृक्ष चारो ही भूतोके सम्मेलसे उत्पन्न हुआ है। वृक्ष बन जानेके पश्चात् भी उसके प्रत्येक अगमे ये चारो पदार्थ हीन या अधिक रूपमे पाये जाते हैं। इसकी टहनियोमे पृथिवी अधिक है और जल कम, क्योकि यह अधिक ठोस हैं। पत्तोमे उसकी अपेक्षा जल अधिक है और फूलोमे उसकी अपेक्षा भी जल अधिक है। टहनियोमे जो नमी देखी जाती है, और पत्ते फल-फूल आदिको जो निचोड़कर रस निकला जाता है वह तरल होनेके कारण, वास्तवमे जलका भाग है। और शेष जो इंधन या फोक होता है वह ठोस होनेके कारण पृथिवोका भाग है । पृथ्वी तथा जलके