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५ जीव पदार्थ विशेष
११७ या काय हैं, जिनमे कि जीव निवास करता है। इन भेदोकी अपेक्षा षट्कायके जीव कहलाते हैं । ___ गतियोकी अपेक्षा देखनेपर तिथंच गतिके सब भेद तो ऊपरवाले छह भेदोमे आ ही गये । मनुष्य भी सज्ञी पचेन्द्रिय सोमे गर्भित है। परन्तु नारकियो तथा देवोके शरीर इन भेदोमे नही गिने गये हैं, क्योकि उनका शरीर एक विशेष ही प्रकारका अर्थात् वैक्रियिक होता है, जो न तो इस पृथिवी मण्डलपर कही दिखाई देता है, और न ही हमारे-तुम्हारे नित्यके व्यवहारमे या किसी प्रयोगमे आता है। छह भेद केवल उन्ही जीवोके हैं जो कि इस पृथिवी पर रहते हैं तथा जिनके साथ हमे नित्य व्यवहार करना पडता है। अत काय की अपेक्षा जीवके उपर्युक्त छह ही भेद समझना। ११. सचार तया निवासकी अपेक्षा जीवोके भेद ___ अब तक जितने भी जीवोके भेद-प्रभेद किये गये हैं. उन सबको गमनागमन तथा निवासकी अपेक्षा भी विभाजित किया जा सकता है। कुछ जीव तो ऐसे है जो पृथिवीपर ही उत्पन्न होते हैं, पृथिवीपर ही चलते-फिरते है और पृथिवीपर ही रहते हैं-जैसे मनुष्य, गाय आदि। कुछ ऐसे हैं जो पृथिवीपर उत्पन्न होते है, पृथिवीपर ही चलते-फिरते है और पृथिवीमे बिल बनाकर रहते है जैसे-चूहा, सर्प, चीटी आदि । कुछ ऐसे है जो जलमे ही पैदा होते है, जलमे ही चलते फिरते हैं और जलमे ही रहते हैं जैसे-मछली। कुछ ऐसे है जो जलमे भी पैदा हो जाते हैं, और नमोवाली पृथिवीमे भी, जलमे भी रह सकते है, पृथिवीपर भी और पृथिवीके भीतर बिलोमे भी, जैसे-मेंढक । कुछ ऐसे हैं जो पृथिवीपर पैदा होते है, आकाश या वायुमे चलते-फिरते हैं और पृथिवीपर या वृक्षो आदि पर रहते हैं जैसे-पक्षी, मच्छर, मक्खो आदि । कुछ ऐसे हैं जो वायुमे ही उत्पन्न होते है, वायुमे ही चलते-फिरते है, वायुमे ही रहते हैं जैसे