SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 116
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०० पदार्थ विज्ञान भय खाकर अपने स्थानसे अन्यत्र अपनी रक्षा करनेके लिए भाग नही सकते - जैसे कि वृक्ष यद्यपि भय तो खाता है परन्तु भाग नही सकता। ऐसे जीवोको स्थावर कहते हैं । दो इन्द्रियसे लेकर पचेन्द्रिय पर्यन्त सर्व ही क्षुद्र कीडे, पशु-पक्षी तथा मनुष्य आदि भी भी भय खाते हैं और अपनी रक्षाके लिए भागते भी हैं । इस प्रकारके सर्व जीव त्रस कहलाते हैं । एकेन्द्रिय सभी जीव स्थावर होते हैं । एकेन्द्रिय स्थावर जीव आगममे पांच प्रकारके कहे गये हैंपृथ्वी, जल, अग्नि, वायु तथा वनस्पति । भूगर्भमे उत्पन्न होनेवाले खनिज पदार्थ सभी पृथ्वी कहे जाते हैं- जैसे मिट्टी, पत्थर, लोहा, तांबा आदि । वाष्प तथा वर्षास लेकर समुद्र पर्यन्तका सभी प्रकारका जल जल कहलाता है । ज्वाला, चिनगारी, अगारा आदि सभी अग्नि कहे जाते हैं । साधारण वायु तथा आक्सीजन आदि गैसें सब वायु कहे जाते हैं । घास, बेल, वृक्ष, पोधा, पत्ता, डाली टहनी आदि वनस्पति कहे जाते हैं । ७ त्रस स्थावर जीवोंमे जीवत्वकी सिद्धि पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु तथा वनस्पति इन पाँचोमे से वनस्पतिमे जीवत्वका होना आज सबको स्वीकार है, क्योकि उसके अनेको लक्षण सर्व-प्रत्यक्ष हैं और बोस बाबूके अनुसन्धानोके कारण आजके विज्ञानने भी इसे स्वीकार किया है । आहार, भय, मैथुन तथा परिग्रह ये चार बातें हैं, जिनपर से कि किसी भी शरीरमे जीवत्वकी सिद्धि की जाती है | शरीरके पोषण के लिए जो कुछ भी अपने-अपने योग्य भोजन-पान ग्रहण किया जाता है, उसे 'आहार' कहते है | शरीरके विनाशका कारण उपस्थित हो जानेपर जो डर लगता है और अपनी रक्षा करनेका प्रयत्न होने लगता है उसे भय कहते हैं । स्त्रीके हृदयमे पुरुषके साथ सम्भोग करनेकी
SR No.009557
Book TitlePadartha Vigyana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherJinendravarni Granthamala Panipat
Publication Year1982
Total Pages277
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy