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पदार्थ विज्ञान
प्रेम-द्वेषरूप होती है, परन्तु विशेष विचारणा शिक्षा ग्रहणरूप होती है। सामान्य तथा विशेष विचारणाके सूक्ष्म भेदको जाननेके लिए आपको अन्त.करणका विश्लेषण करके अच्छी तरह पढना होगा। अन्त'करणके अन्तर्गत चार चीज़ बतायी गयी हैं-बुद्धि, चित्त, अहंकार तथा मन । यहाँ केवल इतना समझना है कि क्या चीटी और क्या मनुष्य सभी इस बातको विचारते हैं कि ऐसा काम करनेसे भला होगा और ऐसा काम करनेसे बुरा। इधर जाना हमारे लिए हितकारी है और इधर जाना अहितकारी। यह पदार्थ हमारे लिए इष्ट है और यह अनिष्ट इत्यादि । छोटे या बड़े सभी प्राणी अपने-अपने भोज्य पदार्थके प्रति ही गमन करते हैं। चीटी यद्यपि नही देख सकती परन्तु दूरसे ही अग्निकी गर्मीको स्पर्श द्वारा महसूस करके यह जान जाती है कि आगे कोई अनिष्ट पदार्थ है। अवश्य ही वह यह विचारती होगी कि इधर जायेगी तो जल जायेगी। इसलिए इधर जाते-जाते पलट जाती है। एक चीटीदूसरी चीटीके साथ अपने दो अग्न बालो द्वारा कुछ संकेत विशेष करके उससे बातें किया करती है, जिसके कारण वह जाते-जाते यह सिद्ध करती है कि चीटी आदि सर्व ही विकलेन्द्रिय जोवोमे विचारनेकी शक्ति अवश्य है। इस प्रकारको हिताहित रूप विचारणा-शक्ति साधारण कही जाती है, क्योकि सामान्य रूपसे सबमे पायी जाती है।
दूसरी विचारणा-शक्ति शिक्षा ग्रहण सम्बन्धी है। चीटी आदि क्षुद्र प्राणी अपनी-अपनी जातिके अनुसार तो अवश्य भोजनादिकी प्राप्तिके लिए गमनागमन रूप कार्य करते रहते हैं, परन्तु यदि आप इन्हे अपनी तरफसे कोई नयी बात सिखाना चाहे तो वे सीख नही सकते । तोता, मैना, कबूतर, कुत्ता, घोड़ा आदि सभी प्राणी पढाये जानेपर अपनी-अपनी बुद्धिके अनुसार हीन या अधिक कुछ ऐसी