SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 398
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३०२ कुंदकुंद-भारती हे मुनि! तू भावलिंगकी शुद्धिको प्राप्त होकर चार प्रकारके बाह्य लिंगोंका सेवन कर, क्योंकि भावरहित जीवोंका बाह्यलिंग स्पष्ट ही अकार्यकर -- व्यर्थ है।।१११ ।। आहारभयपरिग्गहमेहुणसण्णाहि मोहिओसि तुमं । भमिओ संसारवणे, अणाइकालं अणप्पवसो।।११२।। हे मुनि! तू आहार, भय, परिग्रह और मैथुन संज्ञाओंसे मोहित हो रहा है इसीलिए पराधीन होकर अनादिकालसे संसाररूपी वनमें भटक रहा है।।११२।। बाहिरसयणत्तावणतरुमूलाईणि उत्तरगुणाणि। पालिह भावविसुद्धो, पूजालाहं ण ईहंतो।।११३।। हे मुनि! तू भावोंसे विशुद्ध होकर पूजा, लाभ न चाहता हुआ बाहर सोना, आतापनयोग, धारण करना तथा वृक्षके मूलमें रहना आदि उत्तरगुणोंका पालन कर ।।११३।। भावहि पढमं तच्चं, बिदियं तदियं चउत्थ पंचमयं। तियरणसुद्धो अप्पं, अणाइणिहणं तिवग्गहरं।।११४।। हे मुनि! तू मन वचन कायसे शुद्ध होकर प्रथम जीव तत्त्व, द्वितीय अजीव तत्त्व, तृतीय आस्रव तत्त्व, चतुर्थ बंध तत्त्व, पंचम संवर तत्त्व तथा अनादि-निधन आत्मस्वरूप और धर्म अर्थ कामरूप त्रिवर्गको हरनेवाले निर्जरा एवं मोक्ष तत्त्वका चिंतन कर -- उन्हीं सबका विचार कर।।११४ ।। जाव ण भावइ तच्चं, जाव ण चिंतेइ चिंतणीयाई। ताव ण पावइ जीवो, जरमरणविवज्जियं ठाणं ।।११५ ।। जब तक यह जीव तत्त्वोंकी भावना नहीं करता है और जबतक चिंता करनेयोग्य धर्म्य-शुक्लध्यान तथा अनित्यत्वादि बारह अनुप्रेक्षाओंका चिंतन नहीं करता है तबतक जरामरणसे रहित स्थानको -- मोक्षको नहीं पाता है।।११५ ।। पावं हवइ असेसं, पुण्णमसेसं च हवइ परिणामा। परिणामादो बंधो, मुक्खो जिणसासणे दिट्ठो।।११६ ।। समस्त पाप और समस्त पुण्य परिणामसे ही होता है तथा बंध और मोक्ष भी परिणामसे ही होता है ऐसा जिनशासनमें कहा गया है।।११६।। मिच्छत्त तह कसायाऽसंजमजोगेहिं असुहलेस्सेहिं। बंधइ असुहं कम्मं, जिणवयणपरम्मुहो जीवो।।११७ ।। १. केशलोच, वस्त्रत्याग, स्नानत्याग और पीछी-कमंडलु रखना ये चार बाह्य लिंग हैं।
SR No.009555
Book TitleKundakunda Bharti
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorPannalal Sahityacharya
PublisherJinwani Jirnoddharak Sanstha Faltan
Publication Year2007
Total Pages506
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size92 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy