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सूत्रस्थान-अ.३."
(३३) सोया, सौंफ, मुलैठी, खरैटी, महुआ, 'चिरौंजी, कसेरू, घृत, विदारकिंद, मिसरी, इनको मिलाकर किया हुआ लेप वातरक्तको शांत करताहै ॥. १९ ॥
. वातरक्तपर लेप । रास्त्रांगुंडूचीमधुकंबलेटेसजीवकंसर्षभकम्पयश्च। घृतञ्चसिद्धंमधुशेषयुक्तरक्तानिलाप्रिणुदेत्प्रदेहः ॥ २० ॥ राना, गिलोय, मुलैठी,. खरैटी, गंगेरण, जीवक, ऋषभक इन औषधियोंके चूर्णसे चारगुना घी और १६ गुना दूध मिलाकर घृतपाकविधिसे घृत सिद्ध करे इस घृतमें शहद मिलाकर लेप करनेसे वातरक्तको शांत करताहै ॥ २०॥ - वातेसरक्तेसघृतःप्रदेहोगोधूमचर्णछगलीपयश्च ॥ २१ ॥ ... अथवा घी, गेहूंका चूर्ण, वकरीका दूध इनको पकाकर लेप करना भी वातरक्तमें हित है ॥ २१॥
शिरःपीडा पर लेप। नतोत्पलंचन्दनकुष्ठयुक्तशिरोरुजायांसघृतःप्रदेहः । प्रपौण्डरीकंसुरदारुकुष्ठंयष्टयामेलाकमलोत्पलेच । शिरोरुजायांसघृतःप्रदेहोलोहैरकापद्मकचोरकैश्च ॥२२॥ तगर, कमल, चंदन, कूठ, इनके चूर्णको घृतसे लेप करे तो मस्तकपीडा शांत होती है । अथवा पंड्यारा, देवदारु, कूठ, मुलैठी, इलायची, कमल, नीलोफर इनकों पीसकर घृत मिलाकर लेपकरनेसे मस्तकपीडाशांत होतीहै । अथवा अगर,एरकवास, पद्माख, गठिवन इनको जलमें पीस लेप करनेसे मस्तकपीडा शांत होती है ॥ २२ ॥
पार्श्वपीडा पर लेप। रास्नाहरिद्रेनलदंशताहृदेवदारूणिसितोपलाञ्च। . . . जीवन्तिमूलंसंघृतंसतैलमालेपनंपावरुंजासुकोष्णम् ॥२३॥ राना, हलदी, दोरुहल्दी, खस, सौंफ, सोया, देवदारु, मिसरी, जीवन्तीकी जड इनको घृत और तेलमें मिलाकर थोडा गर्म लेप किया हुआ पसवाडेके शूलकों नष्ट करता है ॥ २३ ॥
दाहनिवारक लेप। शैवालपद्मोत्पलवेत्रतुझंप्रपौण्डरीकाण्यमृणाललोध्रम्। ' प्रियंगुकालीयकचन्दनानिनिपिणःस्यात्सघृतःप्रदेहः ॥ २४ ॥