SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 747
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ . शारीरस्थान-अ० २. (६८९) ___ उत्तर । रक्तेनकन्यामधिकेनपुत्रंशुक्रेणतेनद्विविधीकृतेन । . बीजेनकन्याञ्चसुतञ्चसूतेयथास्वबीजान्यतराधिकेन ॥ १० ॥ · शुक्राधिकंवैधमुपैतिबीजंयस्यासुतौसासाहतोप्रसूते । ... रक्ताधिकंवायदिभेदमेतिद्विधासुतेसासहितेप्रसूते ॥ ११॥ (उत्तर ) गर्भाधानके समय स्त्रीके रक्तकी अधिकता होनेसे कन्या उत्पन्न होता है,और पुरुषके शुक्रकी अधिकता होनेसे पुत्र उत्पन्न होता है।यदि वह दोनों मिलते समय गर्भाशयकी वायुसे दो विभागको प्राप्त होजाय तो उनमें एक भागमें रक्तकी अधिकता एकमें वीर्यकी अधिकता होनेसे एक कन्या और एक पुत्र उत्सम होताहै । यदि उस समय शुक्रकी अधिकता हो फिर शुक्र और रज मिलकर दो विभाग होजाय तो दो पुत्र उत्पन्न होतेहैं । इसी प्रकार रजकी अधिकता होनेसे दो कन्या उत्पन्न होती हैं ॥ १० ॥११॥ .. भिनत्तियावहहुधाप्रपन्नःशुक्राचैवंवायुरतिप्रवृद्धः।। :: तावन्त्यपत्यानियथाविभागंकात्मकान्यस्ववशात्प्रसूते॥१२॥ याद गर्भाशयमें अत्यन्त बढा हुआ वायु उस रज वीर्यके पांच चार विभाग वना वे तो कर्माधीन उतने बालक गर्भसे प्रगट होते हैं ॥ १२॥ आहारमाप्नोतियदानगर्भःशोषंसमाप्नोतिपरिमृतिवा। .. तंत्रीप्रसूतेमुचिरेणगर्भपुष्टोयदावर्षगणैरपिस्यातू ॥१३॥ 'जब गर्भको आहार नहीं मिलता या गर्भवती स्त्री अत्यन्त हानिकारक रूक्ष. आदिपदार्थोंका सेवन करती है तव गर्भ सूखजाताहै अथवा गिर भी जाताहै।यदि वह गर्भसुखजाताहे तो बहुत कालमें पुष्ट होता और बहुत विलंबसे उत्पन्न होताहै । कभी २ उस गर्भके प्रगट होनेमें एकवर्षसेभी अधिक समय लगजाताहै ॥ १३ ॥ : कर्मात्मकत्वाद्विषसांशभेदाच्छुकास्तृवृद्धिमुपैतिकुक्षौ। । एकोधिकोन्यूनतरोद्वितीयएवंयोऽप्यभ्यधिकोविशेषः॥ १४॥ कर्माधीन रज औरवीर्यके वडे छोटे दो अंश होजानेसे वह दोनों भाग कुक्षीमें वृद्धिको प्राप्त होकर जब समयपर उत्पन्न होते तो उनमें एक बडा और एक छोटा होताहै ॥ ॥ १४॥
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy